इस्मा ने कहा कि अक्टूबर से शुरू होने वाले 2021-22 चीनी सत्र में ओपनिंग स्टॉक करीब 87 लाख टन होगा, जो पिछले 4 साल में सबसे कम है। 87 लाख टन स्टॉक का अनुमान 260 लाख टन घरेलू खपत और 70 लाख टन रिकॉर्ड निर्यात के बाद लगाया गया है।
हालांकि ओपनिंग स्टॉक चालू साल की तुलना में 20 लाख टन कम रहने की संभावना है, लेकिन यह 40 से 45 लाख टन आदर्श ओपनिंग स्टॉक की तुलना में बहुत ज्यादा है, जो दो महीने की खपत के बराबर होता है।
इस्मा के अनुमान के मुताबिक चीनी सत्र 2021-22 में उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 119 लाख टन, जबकि महाराष्ट्र में 121 लाख टन, कर्नाटक मेंं 48.7 लाख टन रहने की संभावना है। देश के कुल चीनी उत्पादन में अन्य राज्यों की हिस्सेदारी 54.6 लाख टन रह सकती है।
कुल मिलाकर करीब 54.5 लाख हेक्टेयर जमीन पर इस साल गन्ने की खेती होने की संभावना है, जो मौजूदा चीनी सत्र से 3 प्रतिशत ज्यादा होगा।
महाराष्ट्र में इस साल गन्ने का रकबा पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत ज्यादा था, जबकि उत्तर प्रदेश में 0.21 प्रतिशत बढ़ा है। कर्नाटक में करीब 2020-21 सत्र की तुलना में 2021-22 में 4.19 प्रतिशत ज्यादा रकबे में गन्ने की खेती हुई है।
इस्मा ने कहा कि चल रहे चीनी सत्र में, जो सितंबर में खत्म होगा, करीब 21 लाख टन चीनी को एथेनॉल बनाने में इस्तेमाल किया गया है, जो आगामी चीनी सत्र में बढ़कर 34 लाख टन हो जाएगा।
इस्मा ने कहा, '2021-22 में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। ऐसे में करीब 4.5 अरब लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी, जो 2020-21 की आपूर्ति से करीब 1.17 अरब लीटर ज्यादा होगा। अगर 1.17 अरब लीटर अतिरिक्त आपूर्ति के हिसाब से देखें तो पिछले साल की तुलना में करीब 13 लाख टन ज्यादा चीनी का डायवर्जन होगा। इसका मतलब यह है कि अगले सत्र में एथेनॉल के लिए 34 लाख टन चीनी भेजी जाएगी।' अगर यह चीनी एथेनॉल के लिए नहीं भेजी जाती है तो इससे अतिरिक्त उत्पादन और बढ़ जाएगा। बहरहाल इस बीच 2020-21 (अक्टूबर से मई) में देश में चीनी की खपत पहले 8 महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़ी है।
सूत्रों ने कहा कि करीब 174 लाख टन चीनी की खपत 2020-21 चीनी सत्र के पहले 8 महीने में घरेलू स्तर पर हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 5.13 प्रतिशत ज्यादा है।