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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा: 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य
Date: 06 Jun 2021
Source: Amar Ujala
Reporter: PTI
News ID: 49894
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कहा, इथेनॉल, 21वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकताओं से जुड़ गया है। आज हमने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (मिश्रण) के लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का संकल्प लिया है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक का था। 2014 तक भारत में औसतन सिर्फ एक-डेढ़ प्रतिशत इथेनॉल ही मिलाया जाता था। आज यह करीब 8.5 फीसदी तक पहुंच गया है।
 
 
पीएम ने कहा, 2013-14 में जहां देश में 38 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा जाता था, वहीं, अब इस का अनुमान 320 करोड़ लीटर से ज्यादा का है। यानी करीब-करीब आठ गुना ज्यादा इथेनॉल खरीदा गया है। बीते साल ही तेल बाजार कंपनियों ने करीब 21 हजार करोड़ रुपये का इथेनॉल खरीदा है। इसका एक बड़ा हिस्सा हमारे देश के किसानों की जेब में गया है। विशेष रूप से गन्ना किसानों को इससे बहुत लाभ हुआ है।
 
 
पीएम ने इथेनॉल सेक्टर के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप जारी किया। देशभर में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से जुड़ा महत्वाकांक्षी ई-100 पायलट प्रोजेक्ट भी पुणे में लॉन्च किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान भी जुडे़ थे।
 
सात साल में अक्षय ऊर्जा की क्षमता 250 फीसदी बढ़ी
पीएम ने कहा, 6-7 साल में अक्षय ऊर्जा की हमारी क्षमता में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। अक्षय ऊर्जा के मामले में भारत आज दुनिया के शीर्ष पांच देशों में है। इसमें भी सौर ऊर्जा की क्षमता को बीते 6 साल में लगभग 15 गुना बढ़ाया है। आज गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में दुनिया का सबसे बड़ा सौर और वायु का हाइब्रिड एनर्जी पार्क बना रहा है तो भारत ने 14 गीगावाट के पुराने कोयला संयंत्रों को भी बंद भी कर दिया है।
 
सड़े हुए अनाज और कृषि कचरे से भी बना रहे इथेनॉल
मोदी ने कहा, 21वीं सदी के भारत को 21वीं सदी की आधुनिक सोच और आधुनिक नीतियों से ही ऊर्जा मिलेगी। इसी सोच के साथ हमारी सरकार हर क्षेत्र में निरंतर नीतिगत निर्णय ले रही है। देश में आज इथेनॉल के उत्पादन और खरीद के लिए जरूरी ढांचे के निर्माण पर बहुत जोर दिया जा रहा है। अभी तक इथेनॉल बनाने वाली ज्यादातर इकाइयां और महज 4-5 उन राज्यों में ही थी, जहां चीनी का उत्पादन ज्यादा होता है। इसका विस्तार पूरे देश में करने के लिए सड़े अनाज और खेती से निकले कचरे आधारित संयंत्रों की स्थापना की जा रही है।
 
 
  

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