सरकार के जैव ईंधन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए चीनी मिलों की बढ़ती रुचि से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने चालू पेराई सीजन में 33 फीसदी ज्यादा एथेनॉल आपूर्ति के लिए अनुबंध किए हैं। इस क्षेत्र की शीर्ष औद्योगिक संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के आंकड़ों से पता चलता है कि चीनी मिलों ने चीनी वर्ष (अक्टूबर से सितंबर) 2015-16 में 104 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ करार किए हैं। पिछले साल 78 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए करार किए गए थे। इससे तेल खरीद के एवज में 5,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बाहर जाने से बचेगी। गौरतलब है कि एथेनॉल को सीधे पेट्रोल में मिलाया जाता है। हालांकि चालू वर्ष के लिए कुछ महीनों पहले तेल विपणन कंपनियों ने चीनी मिलों से 266 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जारी किया था, ताकि वे इस साल 10 फीसदी अनिवार्य मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर सकें। हालांकि 104 करोड़ लीटर के लिए अनुबंध करने से तेल विपणन कंपनियां इस साल 4 फीसदी से कम मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर पाएंगी। चीनी मिलों को उम्मीद है कि तेल विपणन कंपनियां और एथेनॉल की आपूर्ति के अनुबंध करने के लिए बाद में एक और एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी करेंगी। इस्मा के अध्यक्ष ए वेल्लायन ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि जब तेल विपणन कंपनियों द्वारा एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किए जाएंगे तो अगले कुछ महीनों के दौरान आगामी सीजन के लिए और एथेनॉल आपूर्ति के लिए करार होंगे।' मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने के लिए चीनी मिलों ने एथेनॉल के उत्पादन में अड़चन डालने वाली सरकारों से इन्हें दूर करने को कहा है। इससे न केवल कम पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करना पड़ेगा और कम विदेशी मुद्रा बाहर जाएगी बल्कि इससे देश के गन्ना किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। इस बीच इस्मा ने चीनी क्षेत्र में रुझान को सुधारने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। इन उपायों में किसानों को गन्ने पर प्रति क्विंटल 4.50 रुपये की सब्सिडी, उत्पाद शुल्क खत्म करना, गन्ने से संबद्ध निर्धारित कीमत नीति अपनाना, 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण और 40 लाख टन चीनी का निर्यात शामिल हैं।