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कच्ची चीनी निर्यात पर सब्सिडी नहीं
Date: 14 Oct 2015
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Reuters
News ID: 4861
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अगले महीने पूरे हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय कच्ची चीनी निर्यात पर सब्सिडी मिलने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। कारोबारी और सरकारी सूत्रों का कहना है कि कच्ची चीनी के बजाय मिलें सफेद चीनी के निर्यात पर जोर दे रही हैं। सरकार मिलों को अपनी चीनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के लिए बढ़ावा दे रही है। सरकार का मानना है कि इस कमाई से मिलें गन्ना किसानों का बकाया आसानी से चुका सकती हैं। दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने पिछले महीने नए नियमों की घोषणा करते हुए चीनी उत्पादकों के लिए चालू पेराई सीजन में कम से कम 40 लाख टन चीनी निर्यात करना जरूरी कर दिया है ताकि चीनी के भंडार को कुछ हद तक कम किया जा सके। 

कच्ची चीनी का बाजार 30 सितंबर को खत्म हो रही निर्यात सब्सिडी की सीमा में विस्तार मिलने की प्रतीक्षा में है क्योंकि इससे वैश्विक आपूर्ति में तेजी आ सकती है। भारत सरकार के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकार अगले महीने चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक कोई फैसला नहीं ले सकती है।' अधिकारी देश में तीसरी सबसे अधिक आबादी वाले राज्य बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव की बात कर रहे थे जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के पैमाने के तौर पर देखा जा रहा है। चुनावी प्रक्रिया नवंबर के मध्य तक चलेगी। चुनाव आचार संहिता की वजह से सरकार ऐसा कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती है जिससे मतदाता प्रभावित हों। महाराष्ट्र में सह्यïाद्रि सहकारी चीनी फैक्ट्री के चेयरमैन बालासाहेब पाटिल ने कहा, 'जब तक निर्यात सब्सिडी को लेकर स्पष्टïता जाहिर नहीं की जाती है तब तक हम कच्ची चीनी का उत्पादन नहीं करेंगे।' एक वैश्विक कारोबारी फर्म के साथ काम करने वाले मुंबई के कारोबारी का कहना है, 'कच्ची चीनी में तेजी आने के बावजूद मिलों के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है। फिर भी उत्पादन लागत काफी अधिक है। बगैर सब्सिडी के मिलें सफेद चीनी का निर्यात करने की कोशिश करेंगी ना कि कच्ची चीनी।'

भारतीय कारोबारी सूत्रों के मुताबिक कुछ मिलों ने 1 अक्टूबर से शुरू हुए नए सीजन में पेराई करने के लिए जरूरी धन हासिल करने के लिहाज से 12,000 टन सफेद चीनी का निर्यात करने के लिए करार किया है। यूरोपीय कारोबारियों का कहना है कि भारतीय सफेद चीनी एशियाई बाजारों में ब्राजीलियाई और थाई आपूर्ति से मुकाबला कर रही थी। इस बीच पिछले दो महीनों के दौरान वैश्विक बाजारों में चीनी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। बेंचमार्क लंदन बाजार में चीनी की कीमत चढ़कर 390 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई। गत 20 अगस्त के मुकाबले कीमतों में करीब 17 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। मुंबई के वाशी बाजार में चीनी एम कीमत आज 15.35 फीसदी बढ़कर 29,080 रुपये प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई जबकि करीब दो महीने पहले चीनी की कीमत 25,210 रुपये प्रति टन थी। हालांकि चीनी की कीमतों में तेजी के बावजूद चीनी निर्यात फायदे का सौदा नहीं है। देश की सबसे बड़ी चीनी और एथेनॉल उत्पादक कंपनियों में से एक के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'कोई कंपनी घाटा बढ़ाने के लिए चीनी निर्यात क्यों करेगी। कीमतें लागत के बराबर भी आ जाएं तो हम निर्यात शुरू कर देंगे।'

 
  

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