सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में देश का कुल चीनी उत्पादन लगभग 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान आज जारी किया, जो पिछले साल की तुलना में 20 लाख टन कम है। सरकार ने कमजोर मॉनसून के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में कमी की संभावना के मद्देनजर यह अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार का यह अनुमान राज्य सरकारों के अनुमानों से तो मेल खाता है लेकिन उद्योग संगठन इस्मा के अनुमान से काफी कम है। इस्मा ने इस साल चीनी उत्पादन 2.7 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है। देश में 2014-15 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 2.81 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया था। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज राज्यों के गन्ना आयुक्तों की बैठक के बाद कहा,' विपणन वर्ष 2015-16 में चीनी का उत्पादन लगभग 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो घरेलू मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त होगा।' अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र व कर्नाटक में उत्पादन में संभावित कमी के कारण मुख्य रूप से आलोच्य विपणन वर्ष में चीनी उत्पादन में दो लाख टन से अधिक की गिरावट आएगी। कमजोर मॉनसून के कारण इन राज्यों में गन्ने का उत्पादन कम रहने की संभावना है। महाराष्ट्र देश का प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य है। उसने विपणन वर्ष 2015-16 में चीनी उत्पादन घटकर 86 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है जो पिछले साल 1.051 करोड़ टन रहा था। महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कमजोर बारिश के कारण 2015-16 में गन्ने का उत्पादन घटकर 8.36 करोड़ टन रहना अनुमानित है जो पिछले साल 10.22 करोड़ टन था। इसी तरह कर्नाटक में चीनी का उत्पादन विपणन वर्ष 2015-16 में घटकर 40 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल 50 लाख टन रहा था। महाराष्ट्र व कर्नाटक में गन्ने की फसल काफी हद तक बारिश पर निर्भर है जबकि उत्तर प्रदेश में यह सिंचाई आधारित है। देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 2015-16 में पिछले साल के स्तर 72 लाख टन पर रहने का अनुमान है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने आज की बैठक में कहा कि 2015-16 में चीनी उत्पादन पिछले साल के स्तर 72 लाख टन पर ही रहेगा।