एथेनॉल उत्पादक अच्छी कीमत मिलने की वजह से इसके उत्पादन में काम आने वाले कच्चे माल की एल्कोहल और औद्योगिक रसायन विनिर्माताओं को आपूर्ति कर रहे हैं। इस वजह से सरकार हरित ईंधन एथेनॉल की आधार कीमत बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है, ताकि पेट्रोल के साथ 10 फीसदी अनिवार्य मिश्रण के लिए पर्याप्त मात्रा में एथेनॉल मिल सके। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'सरकार एथेनॉल की न्यूनतम समर्थन कीमत में बढ़ोतरी के बारे में विचार कर रही है।' नवंबर 2012 में सरकार ने पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल का मिश्रण अनिवार्य किया था, लेकिन आपूर्ति और कीमत जैसे मसलों की वजह से यह कार्यक्रम कुछ केंद्रों तक ही सीमित रह गया। दिसंबर, 2014 में मिश्रण के स्तर को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया। साथ ही सरकार ने एथेनॉल की न्यूनतम डिलिवरी कीमत 48.50 रुपये से 49.50 रुपये प्रति लीटर तय कर दी, जो डिस्टिलरी से तेल विपणन कंपनियों के डिलिवरी डिपो पर आधारित थीं। इससे पहले एथेनॉल की खरीद कीमत तेल विपणन कंपनियां और चीनी मिलें मिलकर तय करती थीं। इस आधार कीमत पर डिस्टिलरियों को वास्तविक कीमत 42 से 43 रुपये प्रति लीटर मिलने का अनुमान था क्योंकि शेष विभिन्न राज्य लेवी में चला जाता था। हालांकि सरकार के कीमत तय करने से पहले डिस्टिलरियों को वास्तविक कीमत 36 से 37 रुपये प्रति लीटर ही मिलती थी। कोल्हापुर स्थित एक सलाहकार कंपनी एथेनॉल इंडिया डॉट नेट में सलाहकार दीपक देसाई ने कहा, 'यह कीमत भी चीनी मिलों के लिए आकर्षक नहीं है क्योंकि पेय एल्कोहल विनिर्माता जैसे प्रतिस्पर्धी उद्योग एथेनॉल से प्राप्त होने वाली वास्तविक कीमत से ज्यादा दाम दे रहे हैं। इसके नतीजतन चीनी मिलों ने चीनी के उपोत्पाद एवं एथेनॉल से पहले के पूर्व-रूप रेक्टिफाइड स्पिरिट की आपूर्ति पेय एल्कोहल विनिर्माताओं को करनी शुरू कर दी है। इससे उन्हें 44 से 45 रुपये प्रति लीटर की आमदनी हो रही है, जबकि एथेनॉल से उन्हें 42 से 43 रुपये मिलते हैं। इसके साथ ही पेय एल्कोहल की कीमत में एथेनॉल से ज्यादा बढ़ोतरी की गुंजाइश है। वहीं, औद्योगिक रसायन विनिर्माता एथेनॉल और पेय एल्कोहल विनिर्माताओं से ज्यादा कीमत देते हैं। डिस्टिलरियों की 224 करोड़ लीटर की स्थापित क्षमता और 100 फीसदी उपयोग को मद्देनजर रखते हुए प्रत्येक 1 रुपये की अतिरिक्त आमदनी से उन्हें कम से कम 224 करोड़ रुपये का फायदा होगा। देसाई ने कहा, 'यही वजह है कि तेल विपणन कंपनियां 5 फीसदी अनिवार्य मिश्रण का स्तर हासिल करने में असफल रही हैं।' भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निदेशक (विपणन) के के गुप्ता ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल में 3.5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का स्तर हासिल कर पाई हैं। चालू वर्ष यानी 2015-16 में तेल विपणन कंपनियों ने 266 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए निविदा जारी की हैं, लेकिन ये इस साल भी 5 फीसदी मिश्रण का स्तर हासिल करने का लक्ष्य बना रही हैं।
देश की सबसे बड़ी चीनी रिफाइनर और एथेनॉल उत्पादक श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा, 'अप्रैल 2015 में कैबिनेट ने चीनी मिलों पर उत्पाद शुल्क हटाने का फैसला किया था, जिससे चीनी मिलों को 575 करोड़ रुपये यानी एथेनॉल पर 5.75 रुपये प्रति लीटर का फायदा मिलने का अनुमान है। डिस्टिलरीज चीनी के उपोत्पाद और एथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल शीरे पर उत्पाद शुल्क चुका रही हैं, इसलिए वास्तविक लाभ 2 रुपये प्रति लीटर होगा। शीरे पर उत्पाद शुल्क खत्म करने से डिस्टिलरीज को 2 से 3 रुपये प्रति लीटर का और फायदा होगा, जिससे वास्तविक कीमत प्राप्ति 45 से 46 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। सरकार को चीनी मिलों की खातिर स्थायी नीति के लिए सीमित अवधि के उपायों के बजाय दीर्घकालिक उपाय अपनाने चाहिए।'