बांग्लादेश से बढ़ते आयात को देखते हुए जूट आयुक्त ने सभी 77 जूट मिलों के आयात लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। आमतौर पर जूट मिलें जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जेपीएमए), 1987 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए चीनी और खाद्यान्न की भराई के लिए बांग्लादेश से जूट बोरियों का अवैध आयात करती हैं। इस अधिनियम के मुताबिक हर कृषि सीजन में अनाज और चीनी की भराई के लिए सरकार को केवल देश में उत्पादित जूट एवं इससे बने उत्पादों की आपूर्ति की जा सकती है। जूट आयुक्त ने तीन पृष्ठ का एक अनिवार्य 'घोषणा पत्र'जारी किया है, जिसे जूट और इससे बने उत्पाद आयात करने की इच्छुक जूट मिलों को भरना होगा। जूट मिलों को आयातित बोरियों के उपयोग के बारे में घोषणा करनी होगी। अब आगे जूट आयुक्त आयात के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) जारी करेगा। हेस्टिंग्स जूट मिल के प्रबंध निदेशक और इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के पूर्व चेयरमैन संजय कजारिया ने कहा, 'यह स्वागत योग्य कदम है। जूट आयुक्त ने केवल केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन किया है। जेपीएमए अधिनियम के मुताबिक केवल देश में उत्पादित जूट का इस्तेमाल जूट की बोरियां बनाने में किया जा सकता है।'वर्ष 2014-15 में जूट की बोरियों का आयात कीमत के लिहाज से 75 फीसदी और मात्रा के लिहाज से 79 फीसदी बढ़ा। इसमें जूट की बोरियों का आयात 36 फीसदी, जूट के धागे का 37 फीसदी और सीबीसी (कारपेट बैकिंग क्लोथ) का 27 फीसदी बढ़ा। इस साल जुलाई में बांग्लादेश से कच्चे जूट का आयात पिछले वित्त वर्ष की इसी महीने के मुकाबले मात्रात्मक लिहाज से 213 फीसदी और कीमत के लिहाज से 274 फीसदी बढ़ा। इसके साथ ही आलोच्य महीने में जूट उत्पादों का आयात जुलाई 2014 के मुकाबले मात्रा के लिहाज से 5 फीसदी और कीमत के लिहाज से 23 फीसदी बढ़ा है। इस साल की अप्रैल-जुलाई अवधि में कच्चे जूट का कुल आयात पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले मात्रा के लिहाज से 21 फीसदी गिरा है, लेकिन कीमत के लिहाज से 6 फीसदी बढ़ा है।