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शकर निर्यात की दीर्घकालिक नीति बनाएगी सरकार
Date: 12 Sep 2015
Source: Business Bhaskar
Reporter: भास्कर न्यूज नेटवर्क
News ID: 4766
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भास्कर न्यूज नेटवर्क|नई दिल्ली 

सरकार शकर निर्यात के लिए दीर्घकालिक नीति पर काम कर रही है। इसे सिर्फ चीन और अफ्रीका नहीं, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात करने का विचार है। खाद्य सचिव वृंदा सरूप ने पीएचडी चैंबर के एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि नीति कब तक लागू हो पाएगी। 

गौरतलब है कि देश में लगातार पांच साल से चीनी उत्पादन, इसकी खपत से ज्यादा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में अब तक गन्ने की बुवाई पिछले साल से ज्यादा क्षेत्र में हो चुकी है। इंडियन शकर मिल्स एसोसिएशन ने 2.80 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है। 2014-15 के सीजन में उत्पादन करीब 2.83 करोड़ टन है। 

अक्टूबर से नया शकर वर्ष शुरू होगा, तब एक करोड़ टन सरप्लस शकर स्टॉक रहने का अनुमान है। ज्यादा स्टॉक के कारण इसके भाव भी लगातार कम हुए हैं। थोक मार्केट में शकर की कीमतें 24-25 रुपए प्रति किलो हैं, जबकि लागत 34-36 रुपए प्रति किलो है। मिलों का कहना है कि इसी वजह से वे गन्ना किसानों का 14,000 करोड़ रुपए बकाये का भुगतान नहीं कर पा रही हैं। 

सरकार चीनी मिलों को सब्सिडी 

वृंदा सरूप ने कहा कि सरप्लस शकर के निर्यात के लिए सरकार शकर मिलों को सब्सिडी दे रही है। पिछले महीने खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था बार्टर ट्रेडिंग के तहत 40 लाख टन शकर निर्यात के बदले दाल और खाद्य तेलों का आयात करने का भी विचार है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शकर उत्पादक देश है। 

कम बारिश के बावजूद फसल उत्पादन ज्यादा रहेगा : जेटली 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि खराब बारिश के बावजूद इस साल फसल उत्पादन पिछले साल से ज्यादा रहने का अनुमान है। इसके लिए उन्होंने अब तक की बुवाई को आधार माना है। शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने आए जेटली पत्रकारों से बात कर रहे थे। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 11 सितंबर तक 1012 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक 994.49 लाख हेक्टेयर मे बुवाई हुई थी। यानी इस बार बुवाई 1.76 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने कहा अभी तक की सूचना के मुताबिक बुवाई काफी अच्छी हुई है। इसलिए उत्पादन पिछले साल से ज्यादा रहेगा। कितना ज्यादा, यह देखना है। यह आंकड़ा सीजन के अंत में ही पता चलेगा। जुलाई में अच्छी बारिश हुई, लेकिन अगस्त में थोड़ी कम रही। सितंबर में भी अभी तक की बारिश संतोषजनक नहीं है। लेकिन दो-तीन दिनों में मानसून ने एक बार फिर जोर पकड़ा है। फिर भी बारिश सामान्य से कम ही रहने का अंदेशा है। वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने में देर कर सकती है, लेकिन वह इसे रोक नहीं सकती। विपक्षी पार्टी पर विकास विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह अवरोध की राजनीति कर रही है।

 
  

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