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चीनी मिलों को ३,२०० करोड़ रूपये की मिठास
Date: 03 Sep 2015
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Virendra Singh Rawat
News ID: 4723
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उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को राज्य सरकार से बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार ने 2,100 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है, वहीं केंद्र सरकार की ओर से उन्हें 1,200 करोड़ रुपये का आसान ऋण देने की पहले ही घोषणा की जा चुकी है। ऐसे में राज्य की निजी चीनी मिलों पर करीब 6,800 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये में से करीब आधे की भरपाई इससे हो सकती है।

केंद्र ने संकट में फंसे चीनी उद्योग के लिए 6,000 करोड़ रुपये के आसान ऋण योजना की घोषणा की थी, जिनमें से 1,200 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश की निजी चीनी मिलों को मिल सकते हैं। राज्य में करीब 94 निजी चीनी मिलें हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने निजी चीनी मिलों को गन्ना किसानों को बकाया चुकाने के लिए 2,100 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद की घोषणा की है।

इस पैकेज की घोषणा 12 नवंबर, 2014 को 2014-15 के पेराई सत्र शुरू होने से पहले चीनी उद्योग को प्रोत्साहन के तौर पर की गई थी। गन्ना किसानों के बढ़ते बकाये और चीनी की घटती कीमतों के बीच गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी से चीनी उद्योग खासे दबाव में था। उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमत 280 रुपये प्र्रति क्विंटल तय करने के साथ ही राज्य सरकार ने मिलों को प्रति क्विंटल 40 रुपये का प्रोत्साहन देने की घोषणा की थी, जिससे मिलों के लिए गन्ने की प्रभावी कीमत 240 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। हालांकि यह प्रोत्साहन किस्तों में देने का वादा किया गया था।

कुल 40 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन में से 20 रुपये प्रति क्विंटल सीधे दिया जाना था, जिसमेंं  से 11.40 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना सोसाइटियों के कमीशन, गन्ना खरीद कर और चीनी प्रवेश कर में राहत के तौर पर देने का वादा किया गया था। इसके साथ ही शेष पेराई सत्र पूरा होने पर मिलों को 8.60 रुपये प्रति क्विंटल देने की बात सरकार ने कही थी। बाकी 20 रुपये प्रति क्विंटल का प्रोत्साहन उच्च स्तरीय राज्य समिति की सिफारिशों के आधार पर दिया जाना था। समिति द्वारा तय चीनी और उसके अपशिष्टï उत्पादों की औसत कीमत पर विचार कर देने की बात कही गई थी। इसमें अगर औसत कीमत तय मूल्य से कम होती है तो उसकी भरपाई की जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि इस बीच 28.60 रुपये प्रति क्विंटल देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इससे अगले दो हफ्तों में चीनी मिलों को करीब 2,100 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इसमें अगर केंद्र सरकार से मिलने वाले आसान ऋण को शामिल कर दिया जाए तो मिलों का बोझ करीब 3,500 करोड़ रुपये तक कम हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक निजी मिलें बाकी बकाया रकम  खुद के संसाधनों से चुकाने की कोशिश कर रही हैं, जो करीब 700 से 800 करोड़ रुपये हो सकती है। हालांकि इसके बाद भी नवंबर 2015 में जब अगला पेराई सत्र शुरू होगा तो उस समय तक गन्ना बकाया करीब 2,800 करोड़ रुपये बचा रह सकता है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्तारा ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस मसले को हल करने के लिए तत्काल कोई नीतिगत हस्तक्षेप करेगी और लंबी अवधि का समाधान निकालेगी, जिससे इस उद्योग को काफी मदद मिलेगी।

 
  

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