नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चालू पेराई सीजन में पैदा हुई चीनी उद्योग की मुश्किलें सुलझाने तथा गन्ना किसानों काबकाया भुगतान कराने के लिए सरकार ने कुछ और रियायतें देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में बुधवार को यह फैसला किया गया। गन्ना किसानों के भुगतान के लिए सरकार ने छह हजार करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की है। यह राशि पहले ही मंजूर की जा चुकी है, लेकिन इसकी शर्तों में पर्याप्त ढील देने का फैसला किया गया है।
सीसीईए के ताजा फैसले में दो बड़े प्रावधान किए गए हैं। पहले की शर्तों के मुताबिक इनमें 30 जून, 2015 तक 50 फीसद गन्ना मूल्य बकाया भुगतान करने वाली मिलों को ही इस रियायती कर्ज को प्राप्त करने की छूट थी। अब इसकी अवधि बढ़ाकर 31 अगस्त, 2015 कर दी गई है। इससे सुविधा का लाभ 90 फीसद से अधिक चीनी मिलें उठा सकेंगी।
दूसरी छूट के मुताबिक अब उन चीनी मिलों को भी यह रियायती कर्ज मिल सकेगा, जिन्होंने गन्ना बकाये का शत प्रतिशत भुगतान कर दिया है। उनके लिए सरकार ने दरवाजा खोल दिया है। इससे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मिलों को अपना कर्ज चुकाने में मदद मिलेगी। सरकार के इस फैसले से गन्ना किसानों के भुगतान में तेजी आने की पूरी संभावना है। सीसीइए के फैसले में कहा गया है कि किसानों को गन्ने का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में किया जाएगा। चीनी मिलों को उन किसानों की सूची बैंकों को मुहैया करानी होगी।
खजाने पर आएगा 600 करोड़ का बोझ
सरकार के इस फैसले से खजाने पर 600 करोड़ रुपये का बोझ आएगा, जिसे चीनी विकास निधि को वहन करना होगा। चीनी मिलें भारी घाटे और वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं। उत्पादन लागत से कम मूल्य पर चीनी बेचने से उनका घाटा लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह से किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं हो पा रहा है। 6,000 करोड़ के ब्याज मुक्त कर्ज से सिर्फ किसानों का भुगतान सुनिश्चित करना होगा। कर्ज की इस राशि की वसूली एक साल बाद शुरू होगी। छूट अवधि में कर्ज पर ब्याज का भार सरकार उठाएगी। यह बोझ छह सौ करोड़ रुपये बैठ रहा है। चीनी मिलों को नगदी संकट से उबारने के लिए सरकार ने दिसंबर, 2013 में भी 6,600 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया था। सरकार ने इसके पहले मिलों को राहत देने के लिए उनकी मांग पर आयात शुल्क 40 फीसद, कच्ची चीनी पर 4,000 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी और पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को प्रोत्साहित करने के लिए एथनॉल मूल्यों को बढ़ाया है।