चीनी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) 2015-16 में भी भारी उत्पादन का अनुमान है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने अपने अनुमान में कहा है कि देश में वर्ष 2015-16 में चीनी उत्पादन 280 लाख टन रह सकता है जो वर्ष 2014-15 के 283 लाख टन चीनी के मुकाबले 1 फीसदी कम है। इस तरह चालू सीजन के अंत में 104 लाख टन चीनी बचने से चीनी सीजन 2015-16 में कुल उपलब्धता बढ़कर 384 लाख टन होने की संभावना है। चीनी सीजन 2014-15 में 75 लाख टन के बचे हुए स्टॉक और 283 लाख टन उत्पादन से कुल उपलब्धता 358 लाख टन रही थी। भारत में वर्ष 2014-15 में चीनी उत्पादन और बचा हुआ स्टॉक अब तक के दूसरे सर्वोच्च स्तर पर रहा था। इससे पहले वर्ष 2006-07 में चीनी का उत्पादन 284 लाख टन और बचा हुआ स्टॉक 110 लाख टन रहा था। इस्मा ने कहा, 'जून 2015 में प्राप्त उपग्र्रह तस्वीरों के आधार पर चीनी सीजन 2015-16 में गन्ने का रकबा करीब 53.6 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो 2014-15 (53.2 लाख हेक्टेयर) के पिछले सीजन के बराबर है। इससे चीनी का उत्पादन वर्ष 2015-16 में 280 लाख टन होने का अनुमान है, जो वर्ष 2014-15 में 283 लाख टन था।' हालांकि इस्मा ने इसे शुरुआती अनुमान बताया है। वह पहला अग्रिम अनुमान सितंबर 2015 में तब जारी करेगा जब उपग्रह की तस्वीरों में पकी हुई फसलें ज्यादा बेहतर तरीके से आ सकेंगी। इसलिए बाद में चीनी उत्पादन के अनुमान में संशोधन किया जा सकता है। इस्मा का अनुमान है कि चीनी मिलों ने जून के अंत तक 280.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है और 30 सितंबर तक 2.5 लाख टन और उत्पादन होने का अनुमान है। हालांकि पेराई सीजन 2015-16 में भारत में चीनी की कुल खपत 252 लाख टन रहने की संभावना है। सबसे ज्यादा रकबे वाले उत्तर प्रदेश में रकबा 23.1 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल जितना ही है। इस्मा ने चीनी सीजन 2015-16 में बेहतर उत्पादकता का अनुमान जताया है। इस तरह उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 73.5 लाख टन रह सकता है, जो चीनी सीजन 2014-15 में 71 लाख टन उत्पादन से करीब 3.5 फीसदी अधिक है। इसी तरह महाराष्ट्र में गन्ने का रकबा पिछले वर्ष जितना ही रहने के आसार हैं। चीनी सीजन 2014-15 में कमजोर बारिश से चीनी सीजन 2015-16 में उत्पादकता प्रभावित हो सकती है, इसलिए चीनी सीजन 2014-15 की तुलना में चीनी का उत्पादन कम रहेगा। महाराष्ट्र में 97 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जो चीनी सीजन 2014-15 के मुकाबले करीब 76 लाख टन कम है।