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अनाज आधारित आसवन इकाइयों को इथेनाल उत्पादन के लिए सस्ता ऋण देने की योजना
Date: 27 Oct 2020
Source: नव भारत टाइम्स
Reporter: भाषा
News ID: 45565
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नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) देश में इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, सरकार अपनी चालू योजना के तहत अनाज आधारित डिस्टिलरी इकाइयों को भी ब्याज सब्सिडी वाले ऋण की सुविधा प्रदान करने का विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि पेट्रोलियम और खाद्य मंत्रालय दोनों का विचार है कि 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इथेनॉल का उत्पादन केवल एक स्रोत (गन्ना) पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए चावल, मक्का, ज्वार और जौ जैसे स्रोतों की ओर ध्यान देने की जरुरत है। वार्ता के कई दौर के बाद दोनों मंत्रालयों का मानना है कि इसके लिए सरकार की चालू योजना के तहत इथेनॉल बनाने के लिए चावल, मक्का, ज्वार और जौ जैसे अनाज आधारित डिस्टलरी को भी सब्सिडीप्राप्त ऋण की सुविधा दी जाये। जून 2018 में घोषित एक प्रोत्साहन योजना के एक भाग के रूप में, केंद्र ने चीनी मिलों को नये डिस्टिलरी स्थापित करने अथवा मौजूदा डिस्टिलरी का उन्नयन करने, क्षमता विस्तार करने तथा उन्हें इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने को अलग करने के लिए प्रोत्साहित करने के ध्येय से आसान ब्याज दर वाला ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। इस योजना के तहत, सरकार ने दो बार ब्याज सहायता दी थी जो 22,000 करोड़ रुपये की ऋण राशि के लिए 4,600 करोड़ रुपये तक बैठती है। सूत्रों ने कहा कि अनाज आधारित डिस्टिलरियों को शामिल करने के लिए मौजूदा योजना को संशोधित करने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल के मंजूरी की आवश्यकता होगी।इसके लिए मौजूदा समय में तैयारियां चल रही है। सूत्रों ने कहा और कहा कि मौजूदा योजना के तहत अप्रयुक्त धन का उपयोग इसके लिए किया जाएगा। सूत्रों ने यह भी उल्लेख किया है कि अनाज आधारित आसवनी (डिस्टिलरी) संघ का कहना है कि उनके पास इथेनॉल बनाने के लिए मौजूदा समय में 75 करोड़ लीटर की क्षमता है। तेल विपणन कंपनियों ने उनसे अनाज आधारित इथेनॉल खरीदने के लिए निविदाएं मंगाई हैं। जब इस योजना को वर्ष 2018 में शुरु किया गया था, तो सूत्रों ने कहा कि सरकार ने चीनी मिलों को लगभग 195 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आयान ब्याजदर वाला ऋण दिये जाने को मंजूरी दी थी। इस कुल मात्रा में से 101 करोड़ लीटर क्षमता अब उपयोग के लिए उपलब्ध है और शेष वर्ष 2022 तक तैयार हो जाएगी। इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर में, सरकार को इस योजना के तहत आसान ब्याजदर वाले ऋण सुविधा का लाभ लेते हुए चीनी मिलों से 400 करोड़ लीटर इथेनॉल क्षमता की स्थापना के लिए लगभग 400 आवेदन प्राप्त हुए। अभी आवेदनों का निराकरण किया जा रहा है। बढ़ी हुई इथेनॉल क्षमता और अच्छे गन्ना फसल के मद्देनजर, सरकार ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2020-21 में सम्मिश्रण करने के लिए 300 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल उपलब्ध होगा, जो वर्ष 2019-20 में 180 करोड़ लीटर के मुकाबले कहीं अधिक है। मौजूदा समय में, भारत में कुल 426 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन क्षमता है, जिसमें से लगभग 130 करोड़ लीटर क्षमता का उपयोग शराब और सैनिटाइटर जैसे अन्य उत्पादों बनाने के लिए किया जाता है। बाकी इथेनॉल बनाने के लिए उपलब्ध है। इस वर्ष इथेनॉल की आपूर्ति में अपेक्षित वृद्धि के साथ, सरकार को वर्ष 2020-21 में 10 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद है।

 
  

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