नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश शासन व प्रशासन की अदूरदर्शी नीतियों के चलते राज्य का चीनी उद्योग गंभीर संकट के मझधार में फंस गया है।
वित्तीय किल्लत में उलझे चीनी उद्योग और भुगतान न होने से हलकान गन्ना किसानों की समस्याओं को सुलझाने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। इससे चुनौतियां और गंभीर हो गई हैं। अगले गन्ना सीजन में पेराई शुरू होने पर संदेह बरकरार है।
गन्ना मूल्य बकाये का भुगतान करने में नाकाम मिलों के लिए भी गन्ना क्षेत्र का आरक्षण हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि अगले सीजन में भी गन्ना किसानों का भुगतान फंसने वाला है। अगले सीजन में भी गन्ने का रकबा कम नहीं हुआ है। यही वजह है कई उद्योग समूहों ने राज्य में अपनी मिलों में पेराई बंद करने का नोटिस भेज दिया है। लेकिन राज्य प्रशासन ऐसी मिलों को चालू रखने के लिए मना रहा है।
सात चीनी उद्योग समूहों का दबदबा
उत्तर प्रदेश में स्थित सात प्रमुख चीनी उद्योग समूहों की मिलों ने गन्ना किसानों का भुगतान 50 फीसद के आसपास ही किया है। राज्य के शासन व प्रशासन पर इन समूहों का दबदबा कायम रहता है। राज्य के पांच उद्योग समूहों की मिलों ने 80 फीसद अथवा इससे अधिक का भुगतान कर दिया है। घाटा होने के बावजूद किसानों के भुगतान को तरजीह दी है। बाकी उद्योग समूह भी 50 से 70 फीसद भुगतान वाले हैं।
चीनी बेचने को कड़ी प्रतिस्पर्धा
जिंस बाजार में चीनी बेचने को लेकर इन उद्योग समूहों की मिलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। सूत्रों के मुताबिक गन्ना बकाये का भुगतान करने में पीछे रहने वाली मिलों ने अपनी चीनी निचले भाव पर भी बेची है, जिससे बाजार खराब हुआ है। जिन मिलों ने चीनी का अपना स्टॉक आधे से अधिक बेच लिया है, किसानों के गन्ने का भुगतान करने में वही सबसे पीछे हैं।
राज्य का डंडा चलाने वाला रवैया
एरियर भुगतान को लेकर राज्य सरकार का रवैया भी सिर्फ डंडा चलाने वाला ही साबित हुआ है। कम अथवा अधिक भुगतान करने वाले मिल मालिकों को एक ही डंडे से हांकने से भी परेशानी बढ़ी है। भारी घाटे से तंग होकर बंद करने वाली मिलों पर राज्य प्रशासन चलाने का दबाव बना रहा है।
ऐसी कई मिलें हैं जो इस सीजन तो दूर अगले में भी भुगतान करने की स्थिति में नहीं होंगी। सूत्रों की मानें तो एक दर्जन से अधिक मिल मालिकों ने कई मिलों को बंद करने का नोटिस दिया है। राज्य सरकार इस पर कोई फैसला लेने के बजाय ढुलमुल नीति अपना रही है। उन्हें चालू रखना गन्ना किसानों के लिए संकट वाला साबित होगा।
एथनॉल उत्पादन को रियायती कर्ज
अगले पेराई सीजन के बारे में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि इस दिशा में केंद्र ने प्रयास किया है। एथनॉल उत्पादन सितंबर, 2015 से उत्पाद शुल्क मुक्त हो जाएगा। एथनॉल की उत्पादन क्षमता बढ़ाने वाली मिलों को रियायती कर्ज मुहैया कराया जाएगा।