नई दिल्ली : देशव्यापी लॉकडाउन ने चीनी उद्योग की वित्तीय सेहत को खराब कर दी है। लेकिन आने वाले दिनों में चीनी निर्यात की संभावनाओं से चीनी मिलों को राहत की उम्मीद बंधी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक इंडोनेशिया व ईरान जैसे देशों से चीनी की निकली मांग से निर्यात की उम्मीदें बढ़ी हैं। घरेलू चीनी उद्योग लपकने की तैयारी में है।
चालू चीनी वर्ष यानी अक्टूबर, 2019 से सितंबर, 2020 के लिए सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा जारी किया है। इससे घरेलू चीनी उद्योग के समक्ष पैदा हुआ नकदी संकट खत्म हो सकता है। इस्मा के मुताबिक भारतीय चीनी उद्योग ने 42 लाख टन चीनी निर्यात का सौदा पक्का कर लिया है। मई माह के पहले सप्ताह में ही चीनी निर्यात अनुबंध पक्के होने लगे थे। विभिन्न बंदरगाहों और मिलों से प्राप्त सूचना के मुताबिक इनमें से 36 लाख टन चीनी का स्टॉक उत्पादन केंद्रों यानी मिलों से निर्यात को निकल चुका है।
वैसे तो कई देशों से निर्यात सौदों के अनुबंध हो चुके हैं, लेकिन सबसे बड़े आयातक देशों में इंडोनेशिया और ईरान हैं। इस्मा ने फरवरी महीने के दौरान कहा था कि चालू मार्केटिंग वर्ष में चीनी निर्यात 50 लाख टन की सीमा को पार कर सकता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी का मूल्य प्रतिस्पर्धी साबित होने से निर्यात की संभावनाएं और बढ़ी हैं।
इस्मा के सोमवार को जारी मई के पहले पखवाड़े में चीनी उत्पादन के आंकड़ों के मुताबिक 15 मई, 2020 तक कुल उत्पादन 2.64 करोड़ टन हो चुका है। पिछले साल इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 3.26 करोड़ टन हुआ था। चालू साल में उप्र में 1.22 करोड़ टन उत्पादन कर लिया गया है, जबकि पिछले साल राज्य में 1.16 करोड़ टन उत्पादन किया गया था। मध्य व पश्चिमी उप्र में ही चीनी मिलों में अभी पेराई हो रही है, जबकि पूर्वी उप्र की मिलें बंद हो चुकी हैं। इस्मा के मुताबिक राज्य में खाड़सारी और गुड़ बनाने वाले कोल्हू के बंद हो जाने से मिलों के पास गन्ने की आपूर्ति बढ़ गई है। राज्य की मिलों में पेराई जून के पहले सप्ताह तक पूरी तरह बंद हो जाएगी।
चीनी उत्पादन में दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में 60 लाख टन चीनी का कम उत्पादन हुआ है। कर्नाटक में 33 लाख टन उत्पादन हुआ है। राज्य की चीनी मिलें अप्रैल में ही बंद हो चुकी हैं। खाद्य मंत्रलय के मुताबिक चालू चीनी वर्ष 2019-20 के दौरान 2.73 करोड़ टन का उत्पादन होने का अनुमान है। जबकि चीनी की घरेलू खपत 2.60 करोड़ टन है।
’>>इंडोनेशिया और ईरान में निर्यात सौदों से उद्योग को मिली राहत
’>>घरेलू खपत में भारी कमी से उद्योग के समक्ष है नकदी संकट