नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए पूरे भारत में जारी लॉकडाउन में चीनी के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है, मगर चीनी की बिक्री कम होने से उद्योग के सामने नकदी का संकट खड़ा हो गया है, जिसके चलते मिलों को किसानों के बकाये का भुगतान करने में कठिनाई हो रही है।
उद्योग संगठन का कहना है कि नकदी के संकट के कारण किसानों का बकाया बढ़कर तकरीबन 18000 करोड़ रुपये हो गया है। निजी चीनी मिलों का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन(इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, चीनी दरअसल आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आती है इसलिए चीनी उद्योग पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन बड़े खरीदारों की मांग नहीं होने के कारण चीनी की बिक्री काफी घट गई है।
इस्मा के आंकड़ों के अनुसार, बीते मार्च और अप्रैल में चीनी की बिक्री पिछले साल के मुकाबले करीब 10 लाख टन कम हुई है। देशव्यापी लॉकडाउन से चीनी उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल पर इस्मा महानिदेशक ने कहा, आवश्यक वस्तु होने के कारण चीनी का उत्पादन और बिक्री जारी रखने में सहूलियत मिली, इसलिए चीनी उद्योग पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा, मगर मांग कमजोर होने के कारण नकदी प्रभाव को लेकर समस्या जरूर पैदा हुई है।
विश्वव्यापी महामारी कोरोना का प्रकोप देश में गहराने से पहले ही भारत सरकार ने 25 मार्च से ही संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया है जिसके चलते होटल, रेस्तरां समेत खान-पान की तमाम दुकानें बंद हैं। ऐसे में हलवाई, बेकरी विनिमार्ता व शीतलपेय कंपनियों जैसे चीनी के बड़े खरीददार नदारद हो गए हैं।