सरकार गन्ना उत्पादक किसानों के करीब 21,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करने में चीनी मिलों की मदद के लिए 20 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की चीनी मिलों की मांग पर विचार नहीं कर रही है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने गन्ना किसानों के बकाये को 'जटिल' मुद्दा बताया और कहा कि बकाये का भुगतान करना चीनी मिलों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, 'गन्ने का बकाया 21,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। केंद्र की कोई ज्यादा भूमिका नहीं है। हम गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करते हैं। अगर चीनी मिलें किसानों को भुगतान नहीं करती हैं तो राज्यों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।' नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। चीनी आयात शुल्क बढ़ाकर 40 फीसदी किया गया, 14 लाख टन कच्ची चीनी निर्यात के लिए 4,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी देने और एथेनॉल सम्मिश्रण को प्रोत्साहन देने सहित कई उपाय किए हैं।पासवान ने कहा, 'चीनी मिलों की बफर स्टॉक का निर्माण करने की मांग रही है। यहां तक कि पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। यह मसला सरकार के विचाराधीन नहीं है।'