गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस स्थिति के बीच चीनी उद्योग ने सरकार से बफर स्टॉक बनाने के लिए उसका 10 प्रतिशत उत्पादन खरीदने की मांग की है, जिससे इस क्षेत्र के संकट को सुलझाया जा सके। पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार की अगुआई में सहकारी चीनी उद्योग व भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अपनी मांग उनके समक्ष रखी। प्रधानमंत्री को सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि 10 प्रतिशत चीनी उत्पादन की खरीद बेहतर होगी। यह किसानों के गन्ना बकाये का भुगतान करने का सबसे तेज तरीका हो सकता है। प्रतिनिधिमंडल ने इसके साथ ही चीनी मिलों के कर्ज के वित्तीय पुनर्गठन की मांग की। उनका कहना था कि पिछले लगातार पांच साल से चीनी का अतिरिक्त उत्पादन हो रहा है और इस चीन वर्ष के अंत में चीनी का बचा भंडार 100 लाख टन तक पहुंच जाएगा। इस बैठक में भाजपा सांसद प्रभाकर कोर, राकांपा सांसद सुप्रिया सुले, सांसद व महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरीज लिमिटेड के अध्यक्ष विजय सिंह मोहिते पाटिल, नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के अध्यक्ष कलप्पा अवाडे तथा इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा शामिल थे। महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरीज लिमिटेड (एमएससीएसएफएल) ने गन्ना उत्पादकों को उचित व लाभकारी मूल्य के भुगतान के लिए चीनी मिलों को 850 रुपये प्रति टन के समर्थन की मांग की। उल्लेखनीय है कि इस साल चीनी उत्पादन की लागत 32 से 34 रुपये प्रति किलोग्राम है, लेकिन चीनी की बिक्री मूल्य सिर्फ 23 रुपये किलोग्राम है। उसने मांग की है कि केंद्र सरकार मिलों के स्तर पर दो साल के लिए 50 लाख टन का बफर स्टॉक बनाए।