वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगातार मंदी की ओर ले जा रही विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 (कोरोनावायरस) का साया घरेलू चीनी आपूर्ति शृंखला पर भी दिखने लगा है। मिलों से होने वाली चीनी खरीद में पिछले एक पखवाड़े के दौरान गिरावट आई है। यहां तक कि चीनी के अंतरराष्ट्रीय दाम भी 15 डॉलर प्रति पाउंड से घटकर 12 डॉलर से नीचे जा चुके हैं।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार इस प्रकोप से पिछले 15 दिनों के दौरान मिलों से होने वाली चीनी बिक्री ठप हो गई है तथा माना जा रहा है कि थोक और खुदरा बाजारों में चीनी स्टॉक पिछले कुछेक सप्ताह में बिक चुका है। बाजार की समीक्षा करने वालों केअनुसार मिलों से चीनी की नई खरीद जल्द ही शुरू होगी क्योंकि आपूर्ति शृंखला पिछले कुछेक सप्ताह के दौरान काफी हद तक कम हो चुकी होगी। इससे चीनी के दाम नियंत्रित रहेंगे, जबकि ताजा खरीद से घरेलू मिलों को मदद मिलेगी। इस्मा का कहना है कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण मौजूदा 'अभूतपूर्व' स्थिति ने चीनी के वैश्विक दामों को प्रभावित किया है। हालांकि यह प्रभाव अस्थायी हो सकता है।
इंडोनेशिया में निर्यात के नए अवसरों के संकेत मिले हैं। इस्मा ने कहा कि थाईलैंड के चीनी उत्पादन में 50 लाख टन तक की कमी तथा भारत, ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड से रियायती आयात शुल्क पर चीनी करने आयात की अनुमति देने के इंडोनेशिया के फैसले ने भारतीय कंपनियों को निर्यात के आकर्षक अवसर प्रदान किए हैं।
इसके अलावा इंडोनेशिया ने अपनी रिफाइनरियों के लिए अतिरिक्त आयात कोटा जारी किया है और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि थाईलैंड से चीनी की उपलब्धता में पहले ही 50 लाख टन की कमी आ चुकी है, भारत की कच्ची चीनी का इंडोनेशिया को निर्यात करने का अच्छा मौका मिला है।
भारतीय मिलें 15 मार्च, 2020 तक 60 लाख टन की अधिकतम स्वीकृत निर्यात मात्रा (एमएईक्यू) के मुकाबले निर्यात के लगभग 38 लाख टन चीनी अनुबंधों में से करीब 30 लाख टन की खेप भेज चुकी हैं। मिलों द्वारा प्रत्यक्ष निर्यात या व्यापारिक निर्यातक के जरिये निर्यात के लिए इस एमएमईक्यू का निर्धारण केंद्र सरकार करती है।