वर्ष 2020 के दौरान अब तक भारत से मलेशिया को किए जाने वाले चीनी निर्यात में पिछले साल के मुकाबले लगभग तीन गुना इजाफा हुआ है क्योंकि मलेशिया ने एक व्यापारिक विवाद की वजह से भारत को संतुष्ट करने के लिए अपनी खरीद बढ़ा दी है। इस विवाद में मलेशिया से भारत को किया जाने वाला पाम तेल निर्यात रुक गया था। कारोबार के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
इस रिकॉर्ड खरीद से दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश भारत को अपने स्टॉक के जमावड़े में कमी लाने में मदद मिल सकती है जिससे भारत के घरेलू दामों में कमी आ रही है। भारत पांच सालों से मलेशिया के पाम तेल का सबसे बड़ा खरीदार रहा है, लेकिन जनवरी में पाम तेल आयात सीमित किए जाने के बाद इसमें गिरावट आ गई। मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा भारत की नीतियों की आलोचना के जवाब में यह कदम उठाया गया था।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने रॉयटर्स को बताया कि मलेशिया इस साल जोरदार ढंग से भारत की कच्ची चीनी खरीद रहा है जो एक सुखद आश्चर्य की बात है। व्यापार संघ के आंकड़े बताते हैं कि मलेशिया ने इस साल भारत से 3,24,405 टन चीनी का आयात किया है, जबकि पिछले साल भारत ने करीब 1,10,000 टन और वर्ष 2008 में 3,13,406 टन का रिकॉर्ड निर्यात किया था। रीफिनिटिव इकॉन पर अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में मलेशिया ने कुल 19.5 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया था। वह आम तौर पर ब्राजील, थाइलैंड और फिर भारत से खरीद करता है।
एक वैश्विक कारोबारी कंपनी के मुंबई स्थित व्यापारी ने कहा कि वर्ष 2020 में मलेशिया की भारत से चीनी खरीद आसानी से 4,00,000 टन का स्तर पार कर सकती है क्योंकि अब भी कुछ खेप रास्ते में हैं। मुंबई के ही एक अन्य व्यापारी ने कहा कि मलेशिया रिफाइनरों को भारत से चीनी खरीद करने को तरजीह देने के लिए कह सकता है। यह भारत को खुश करने की कोशिश है।
जनवरी में इस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश के शीर्ष चीनी रिफाइनर - एमएसएम मलेशिया होल्डिंग्स बेरहैड ने कहा था कि वह पहली तिमाही के दौरान भारत से 4.92 करोड़ डॉलर मूल्य की 1,30,000 टन कच्ची चीनी खरीदेगा।