नई दिल्ली, ब्यूरो। चीनी उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों की मुश्किलें और गंभीर होने लगी हैं। केंद्र सरकार की पहल के बावजूद घरेलू बाजारों में चीनी के मूल्य में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। चीनी उत्पादन को लेकर जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 35 लाख टन अधिक हो गया है। चीनी का यही अतिरिक्त स्टॉक गन्ना किसानों के भुगतान की राह में बड़ा रोड़ा बन सकता है।
घरेलू बाजारों में चीनी अपनी लागत से कम मूल्य पर बिक रही है, जिससे चीनी मिलों का घाटा लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि गन्ना किसानों का 20 हजार करोड़ रुपये बकाया हो गया है। नकदी के अभाव में चीनी मिलें किसानों का भुगतान करने में असमर्थ हो गई हैं।
चालू पेराई सीजन के खत्म होने तक चीनी का उत्पादन 280 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि कैरिओवर स्टॉक 95 लाख टन रहेगा, जो सामान्य स्टॉक से 35 लाख टन अधिक होगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मंदी को देखते हुए निर्यात की संभावनाएं बहुत कम हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 अप्रैल 2015 तक 273 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जो पिछले पेराई सीजन के मुकाबले 34.31 लाख टन अधिक है। उत्पादन बढ़ने की मूल वजह महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में चीनी की रिकवरी दर में वृद्धि है। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन अब तक का सर्वाधिक 103.50 लाख टन हो गया है, जो पिछले सीजन में केवल 77 लाख टन ही था।
उत्तर प्रदेश में 30 अप्रैल तक 70 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन हो चुका है, जो पिछले साल 65 लाख टन ही था। राज्य में अभी भी नौ मिलों में पेराई चालू है। तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक कर्नाटक में 47 लाख टन चीनी बन चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि में सिर्फ 41 लाख टन हो सकी थी। लगभग सभी राज्यों में चीनी का उत्पादन बढ़ा है।
चीनी का उत्पादन एक ओर बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बाजार में कीमतें लागत से भी कम चल रही हैं। ऐसे में गन्ना किसानों का भुगतान करना कठिन होने लगा है। केंद्र सरकार की पहल का फायदा मिलों को तात्कालिक नहीं होगा, जिससे गन्ना एरियर का भुगतान करना आसान नहीं होगा।