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बिजली दर घटी, चीनी मिलों पर दबाव
Date: 23 Jan 2020
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 42993
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चीनी क्षेत्र में समस्याएं दूर करने के लिए केंद्र के कई सकारात्मक कदमों के बावजूद मिलों के मुनाफे पर चालू पेराई सत्र के दौरान दबाव बरकरार रहने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि राज्यों के ग्रिडों ने चीनी मिलों द्वारा उत्पादित बिजली की कीमतों में भारी कटौती की है। चीनी मिलों द्वारा शीरे अपशिष्ट का इस्तेमाल कर बिजली तैयार की जाती है। जहां चीनी मिलों द्वारा उत्पादित कुछ बिजली का इस्तेमाल निजी खपत में किया जाता है, वहीं अधिशेष बिजली की आपूर्ति निर्धारित कीमत पर राज्य ग्रिडों को की जाती है जिसके लिए पिछले साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में 5-6 रुपये प्रति यूनिट की कीमत प्राप्त हुई थी। हालांकि बिजली की औसत कीमत पिछले वर्षों में 6.50 रुपये प्रति यूनिट रही है, जो अब घटकर 3-3.50 रुपये प्रति यूनिट रह गई है।
 
औसत विद्युत कीमत इस साल 50 प्रतिशत तक घटी है। शीरे के अपशिष्ट का इस्तेमाल कर चीनी मिलें अपने परिसरों में बिजली का उत्पादन कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की एक चीनी मिल के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'बिजली का हमारे कुल कारोबार में लगभग 5-7 प्रतिशत का योगदान है। लेकिन इसमें से ज्यादातर कारोबार प्रत्यक्ष रूप से मुनाफे में तब्दील होता है, क्योंकि इस तरह के बिजली उत्पादन में काफी कम खर्च आता है। इसलिए, बिजली की कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट का निश्चित तौर पर हमारे मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चीनी उद्योग विद्युत खरीद कीमतों में वृद्घि के लिए संबद्घ राज्य सरकारों से अनुरोध कर रहा है।'
 
बिजली राज्य का मामला होने की वजह से केंद्र का विद्युत कीमतों के निर्धारण में कोई योगदान नहीं है। सामान्य तौर पर, चीनी मिलें अपनी व्यावसायिक बिजली बेचने के लिए अपने क्षेत्राधिकार में राज्य सरकार के साथ विद्युत खरीद समझौता करती हैं। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा, 'हमें विद्युत उत्पादन के संदर्भ में सरकार से निराशा का सामना करना पड़ा है। सौर और पवन ऊर्जा स्रोतों से सस्ती बिजली की उपलब्धता की वजह से लगभग सभी राज्य सरकारों ने बिजली कीमतें 40-50 प्रतिशत तक घटाने का निर्णय लिया है। यह चीनी मिलों के लिए काफी हद तक नकारात्मक है।'
 
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली की कीमतें घटाकर अब 3 रुपये प्रति यूनिट कर दी हैं, जबकि पिछले साल ये 5 रुपये प्रति यूनिट थीं। चीनी मिलों को अधिक एथनॉल उत्पादन की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र ने सितंबर 2019 में एथनॉल कीमतें 1.84 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाई थीं। सरकार ने दिसंबर 2019 और नवंबर 2020 के बीच कच्चे तेल आयात का बिल 1 अरब डॉलर तक घटाने के प्रयास के तहत एथनॉल कीमतों में यह वृद्घि की थी। एथनॉल को वाहन ईंधन के तौर पर इस्तेमाल के लिए पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाता है। 
 

सी-हैवी श्रेणी के शीरे से उत्पादित एथेनॉल की कीमत 29 पैसे तक बढ़कर 43.75 रुपये प्रति लीटर जबकि बी-हैवी शीरे के लिए 1.84 रुपये तक बढ़कर 54.27 रुपये प्रति लीटर की गई है।  जहां सरकार ने चीनी की न्यूनतम कीमत 31 रुपये प्रति किलोग्राम (महाराष्ट्र में एस वेरायटी की चीनी) निर्धारित की है, वहीं इसकी कीमत 50-75 पैसे तक की वृद्घि के साथ मौजूदा समय में 32 रुपये प्रति किलोग्राम पर है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में एम श्रेणी की चीनी का भाव बढ़कर 33.5-34 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।              

 
  

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