मौजूदा पेराई सत्र 2019-20 के दौरान 31 दिसंबर, 2019 तक घरेलू चीनी उत्पादन 30 प्रतिशत गिरकर 78 लाख टन रहने के बावजूद मिलें अब तक 25 लाख टन चीनी निर्यात के अनुबंध कर चुकी हैं। पिछले साल इस अवधि में 1.12 टन चीनी उत्पादन हुआ था। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने आज कहा कि मिलों ने अपनी अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा (एमएईक्यू) की तुलना में 25 लाख टन चीनी निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
दरअसल केंद्र सरकार अक्टूबर-दिसंबर 2019 तिमाही के दौरान एमएईक्यू की तुलना में मिलों द्वारा किए गए वास्तविक निर्यात की समीक्षा कर रही हैं और जैसा कि पहले ही इस नीति में घोषित किया जा चुका है, वह निर्यात न की जा सकी एमएईक्यू की मात्रा उन मिलों को फिर से आवंटित कर रही है, जो पहले ही निर्यात कर चुकी हैं और अपने एमएईक्यू से अधिक कोटा लेना चाहती हैं। इच्छुक मिलों को एमएईक्यू या अतिरिक्त कोटे के इस आवंटन से 2019-20 के दौरान एमएईक्यू का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
इस बीच इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हालांकि चीनी उद्योग के लिए निर्यात की स्थिति अब तक सकारात्मक रही है, लेकिन फिर भी आगे चलकर इसके लिए पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होगा। इससे पहले उन्होंने कहा था कि अगर वैश्विक चीनी बाजार के हालात अनुकूल रहते हैं, तो इस सत्र में भारतीय चीनी निर्यात 50 टन तक पहुंचने की संभावना है। भारतीय चीनी के प्रमुख विदेशी गंतव्य ईरान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश आदि हैं।
वर्तमान में देश भर में 437 मिलें सक्रिय हैं जो लगभग 78 लाख टन चीनी उत्पादन कर रही हैं, जबकि पेराई सत्र 2018-19 के दौरान 507 मिलें 1.12 करोड़ टन उत्पादन कर रही थीं। इस तरह चीनी उत्पादन में लगभग 34 लाख टन कमी आई है। उत्तर प्रदेश के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चुनाव के अलावा भारी बारिश और बाढ़ के बाद गन्ना उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में जलभराव के कारण पेराई की शुरुआत में बहुत अधिक देर हुई है। महाराष्ट्र में 137 मिलों ने 16.5 लाख टन चीनी उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल 187 इकाइयों ने 44.5 लाख टन चीनी उत्पादन किया था। चीनी प्राप्ति में भी 10 से 10.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, हालांकि आने वाले सप्ताहों में इसमें इजाफा होने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश में 31 दिसंबर तक 119 मिलों ने 33 लाख टन चीनी उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल इस अवधि में 117 इकाइयों ने 31 लाख टन चीनी उत्पादन किया था। उम्मीद है कि वर्ष 2019-20 के दौरान उत्तर प्रदेश 1.2 करोड़ टन या देश के अनुमानित चीनी उत्पादन के 45 प्रतिशत भाग का उत्पादन करेगा। इस बीच देश के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक कर्नाटक में 63 मिलों ने 16.3 लाख टन चीनी उत्पादन किया है, जबकि पिछले सत्र में 65 इकाइयों ने 21 लाख टन उत्पादन किया था।