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पेराई में देरी से उत्पादन ६५ फीसदी घटा
Date: 21 Nov 2019
Source: Business Standard
Reporter: बीएस संवाददाता
News ID: 42821
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दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों - महाराष्ट्र और कर्नाटक में परिचालन में हुई देरी के कारण मौजूदा 2019-20 पेराई सत्र के दौरान घरेलू चीनी उत्पादन 15 नवंबर तक लगभग 65 प्रतिशत घटकर 4,85,000 टन रह गया है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार पिछले साल इस अवधि के दौरान चीनी उत्पादन 13.4 लाख के स्तर पर था। व्यापार और बंदरगाह की सूचना के हवाले से इस्मा ने कहा है कि चीनी मिलों ने 14 लाख टन चीनी निर्यात का भी अनुबंध किया है जिसमें से दो लाख टन चीनी की खेप भेजी जा चुकी है। इस वर्ष 100 चीनी मिलों द्वारा शुरू की गई पेराई की तुलना में पिछले चीनी सत्र में देश भर का आंकड़ा तीन गुना से भी अधिक 310 था।
 
इस साल बाढ़ और उसके बाद जलभराव की वजह से महाराष्ट्र में मिलों ने अब तक पेराई शुरू नहीं की है। पिछले साल राज्य की 149 मिलें परिचालन शुरू कर चुकी थीं और उन्होंने 6,31,000 टन चीनी का उत्पादन किया था। अब महाराष्ट्र सरकार ने 22 नवंबर से पेराई शुरू करने का फैसला किया है। फिलहाल महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू है। चीनी मिलों पर किसानों का बकाया होने के कारण भी पेराई शुरू नहीं हो सकी थी। राज्य में सरकार नहीं होने के कारण इस पर फैसला भी नहीं हो सकता था, लेकिन चीनी मिल मालिकों और चीनी आयुक्त ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करके पेराई शुरू करने का आदेश ले लिया है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेषर गायकवाड़ के मुताबिक 22 नवंबर से राज्य की 162 चीनी मिलों में पेराई का काम शुरू हो जाएगा। अन्य 22 चीनी मिलें अपना पिछला बकाया भुगतान करके जल्द ही पेराई चालू कर देंगी, जबकि 15 मिलें कानूनी वजह से पेराई नहीं कर पाएंगी।  
 
गायकवाड़ ने बताया कि चीनी सत्र 2018-19 के दौरान महाराष्ट्र में 107 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था जो इस बार घटकर 58 लाख टन तक रह सकता है। महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में कमी की वजह बाढ़ और बेमौसम बारिश की वजह से फसल का खराब होना तथा गन्ने के रकबे में कमी बताया जा रहा है। गायकवाड़ के मुताबिक राज्य में 2019-20 के दौरान चीनी का रकबा घटकर 8.22 लाख हेक्टेयर रहा गया है, जबकि 2018-19 के दौरान राज्य में 11.62 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल हुई थी। 
 
इस साल लंबे समय तक रही बाढ़ ने कोल्हापुर, सांगली, सातारा और पुणे को प्रभावित किया है। नतीजतन गन्ने का रकबा 33 प्रतिशत गिरकर 7,76,000 हेक्टेयर रह गया, जबकि पिछले साल रकबा 11.5 लाख हेक्टेयर था। इसके साथ ही वर्ष 2019-20 का चीनी उत्पादन 40 प्रतिशत गिरावट के साथ 62 लाख टन आंका गया है जो वर्ष 2018-19 में एक करोड़ टन था। कर्नाटक में 15 नवंबर तक 1,43,000 टन चीनी उत्पादन के साथ 18 मिलें सक्रिय थीं, जबकि पिछले साल 3,60,000 टन उत्पादन के साथ 53 मिलें सक्रिय थीं। लगातार मूसलाधार बारिश की वजह से बेलगाम और बीजापुर जिलों में उत्तर कर्नाटक क्षेत्रों पर असर पड़ा है। इस कारण गन्ने का रकबा 4,00,000 हेक्टेयर रहने के आसार हैं, जबकि 2018-19 में रकबा 5,00,000 हेक्टेयर था। इस तरह चीनी उत्पादन 32 लाख टन के स्तर पर रहने की संभावना है जो पिछले साल 44.3 लाख टन था।
 
देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 69 मिलों ने अपना पेराई कार्य शुरू किया था और 15 नवंबर तक 2,93,000 टन चीनी उत्पादन किया। पिछले साल भी इतनी ही संख्या में मिलें सक्रिय थीं और 1,76,000 टन चीनी उत्पादन किया था। इस बीच उत्तराखंड और बिहार में दो-दो मिलें, हरियाणा में एक, गुजरात में तीन और तमिलनाडु में पांच मिलों ने पेराई शुरू की जिन्होंने संयुक्त रूप से 49,000 टन चीनी उत्पाद किया है। मौजूदा सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश द्वारा 1.2 करोड़ टन चीनी उत्पादन की संभावना है जो वर्ष 2019-20 में देश के अनुमाति उत्पादन का करीब 45 प्रतिशत है।
 
इस्मा की पूर्व रिपोर्ट के अनुसार घरेलू चीनी उत्पादन 20 प्रतिशत गिरकर 2.6 करोड़ टन रहने के आसार हैं, जबकि 2018-19 में यह 3.3 करोड़ टन से अधिक था। इस साल गन्ने का रकबा 48.3 लाख हेक्टेयर आंका गया है। मौजूदा सत्र के दौरान चीनी उत्पादन में यह अनुमानित गिरावट कुछ हद तक एथनॉल उत्पादन में इजाफे की वजह से भी आई है। गन्ने की घरेलू उपज के कुछ भाग का इस्तेमाल ईंधन में एथनॉल मिश्रण के लिए भी किया जाएगा।
 
  

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