अगले पेराई सत्र से मात्र कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में निजी चीनी मिलों को निराश करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने देसी शराब निर्माताओं के शीरे का आरक्षित कोटा मौजूदा 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। चूंकि पिछली बार आरक्षित कोटा सितंबर 2019 की शुरुआत में 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 16 प्रतिशत कर दिया गया था इसलिए कोटे के इस अनुपात में करीब आठ सप्ताह के दौरान लगभग 45 प्रतिशत का भारी इजाफा हुआ है और यह 12.5 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया है।
आदित्यनाथ मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए इस फैसले का उद्देश्य देसी शराब का निर्माण करने के लिए शीरे की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखना है। इस शराब का उपभोग समाज के कमजोर वर्ग द्वारा किया जाता है। सरकार शराब की अच्छी गुणवत्ता की आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहती है। वरना पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी होने लगती है जो लोगों की सेहत के लिहाज से हानिकारक होती है।
दिलचस्प बात यह है कि निजी मिलें लंबे समय से कोटा खत्म करने की मांग कर रही हैं क्योंकि इससे न केवल उनके नकदी प्रवाह पर प्रतिकूल असर पड़ता है, बल्कि ईंधन में मिलाए जाने वाले एथनॉल उत्पादन के लिए शीरे की उपलब्धता भी कम हो जाती है। शीरा चीनी उत्पादन के दौरान उत्पादित होने वाला उप-उत्पाद होता है। गन्ना पेराई में करीब 4.75 प्रतिशत शीरा प्राप्त होता है। शीरे का प्रसंस्करण इथाइल एल्कोहल और मिथाइल एल्कोहल बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि इथाइल एल्कोहल मानव उपभोग के लिए नहीं होता है, लेकिन मिथाइल एल्कोहल का उपयोग शराब बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका अन्य औषधीय उपयोग भी होता है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ के महासचिव दीपक गुप्तारा ने सरकार को एक पत्र लिखा था जिसमें कोटा प्रणाली पर चिंता जताई गई थी। इसमें दावा किया गया था कि शीरा चीनी मूल्य शृंखला का एक महत्त्वपूर्ण उप-उत्पाद है और इसके राजस्व से किसानों का बकाया निपटाया जाता है।
उत्तर प्रदेश के गुन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 2018-19 के दौरान शीरा उत्पादन में कमी के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सितंबर 2019 में शीरे का कोटा निर्धारित किया है जो अनुमानित 55 लाख टन उत्पादन की तुलना में लगभग 47 लाख टन रहा था।
राज्य सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में 31,000 करोड़ रुपये से अधिक उत्पाद शुल्क का लक्ष्य लेकर चल रही है। उसने कहा है कि लगभग आधा हिस्सा देसी शराब से प्राप्त होता है। राज्य ने वर्ष 2019-20 के दौरान 50 लाख टन शीरा उत्पादन का अनुमान लगाया है जिसमें से डिस्टिलरी की आवश्यकता 9.4 लाख टन आंकी गई है। सरकार ने प्रति माह आरक्षित और अनारक्षित श्रेणी के लिए 1:4.56 अनुपात में शीरा जारी करना तय किया है।