केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने खरीफ विपणन सीजन (केएमस) 2019-20 के दौरान जूट की बोरियों की कमजोर आपूर्ति को देखते हुए खाद्यान्नों को अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में ही भरने के नियम में ढील दी है। जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम के अनुसार 100 फीसदी खाद्यान्न को अनिवार्य तौर पर जूट की बोरियों में पैक करना जरूरी है। हालांकि, जूट मिलों की ओर से आपूर्ति की असंतोषजनक स्थिति को देखते हुए खाद्य मंत्रालय कोई वैकल्पिक पैकिंग सामग्री पर विचार करने को मजबूर है। खाद्य मंत्रालय ने खाद्यान्न की पैकिंग के लिए तैयार की जाने वाले बी ट्वील जूट बोरियों की अपर्याप्त आपूर्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। खाद्यान्न खरीद के दबाव पर विचार करते हुए खाद्य मंत्रालय ने जूट की बोरियों में पैक करने के आदेश में ढील दी है। कुछ राज्यों में खाद्यान्न की खरीद शुरू भी की जा चुकी है। मंत्रालय ने इस तरह उच्च घनत्व वाले पॉलिएथिलीन (एचडीपीई) या पॉलिएथिलीन (पीई) बोरियों की 2,10,000 गांठों (एक गांठ बराबर 180 किलोग्राम) के इस्तेमाल के लिए रास्ता तैयार कर दिया है। मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित ढील वित्त वर्ष 2020 के खरीफ सीजन में खाद्यान्न की कुल पैकिंग जरूरत के 11 फीसदी के बराबर है।