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जूट बोरियों की आपूर्ति घटने पर प्लास्टिक बोरियों की तरफ झुकाव
Date: 31 Oct 2019
Source: जयजित दास
Reporter: Business Standard
News ID: 42756
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केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने खरीफ विपणन सीजन (केएमस) 2019-20 के दौरान जूट की बोरियों की कमजोर आपूर्ति को देखते हुए खाद्यान्नों को अनिवार्य रूप से जूट की बोरियों में ही भरने के नियम में ढील दी है। जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम के अनुसार 100 फीसदी खाद्यान्न को अनिवार्य तौर पर जूट की बोरियों में पैक करना जरूरी है। हालांकि, जूट मिलों की ओर से आपूर्ति की असंतोषजनक स्थिति को देखते हुए खाद्य मंत्रालय कोई वैकल्पिक पैकिंग सामग्री पर विचार करने को मजबूर है।   खाद्य मंत्रालय ने खाद्यान्न की पैकिंग के लिए तैयार की जाने वाले बी ट्वील जूट बोरियों की अपर्याप्त आपूर्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। खाद्यान्न खरीद के दबाव पर विचार करते हुए खाद्य मंत्रालय ने जूट की बोरियों में पैक करने के आदेश में ढील दी है। कुछ राज्यों में खाद्यान्न की खरीद शुरू भी की जा चुकी है। मंत्रालय ने इस तरह उच्च घनत्व वाले पॉलिएथिलीन (एचडीपीई) या पॉलिएथिलीन (पीई) बोरियों की 2,10,000 गांठों (एक गांठ बराबर 180 किलोग्राम) के इस्तेमाल के लिए रास्ता तैयार कर दिया है। मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित ढील वित्त वर्ष 2020 के खरीफ सीजन में खाद्यान्न की कुल पैकिंग जरूरत के 11 फीसदी के बराबर है।   

 

 
सरकारी एजेंसियों ने इस सीजन में जूट की बोरियों के 19 लाख गांठें खरीदने का निर्णय लिया है। इसमें से 13.1 लाख गांठों का ऑर्डर इस साल जून से अक्टूबर के बीच दिए गए हैं। जूट आयुक्त के कार्यालय के अनुमान के मुताबिक जूट उद्योग अभी भी 25.4 फीसदी आपूर्ति बकाये के दबाव में है। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने जूट आयुक्त को मिल मालिकों पर ऑर्डर की गई मात्रा की पूरी आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाने को कहा है।  इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के चेयरमैन राघवेंद्र गुप्ता को लिखे पत्र में जूट उपायुक्त कौशिक चक्रवर्ती ने कहा, 'आपसे अनुरोध किया जाता है कि आप मिलों को ऑर्डर की गई समूची मात्रा की आपूर्ति करने के लिए मिलों को अपने उत्पादन में तेजी लाने को कहें ताकि खरीद प्रक्रिया शुरू होने से पहले इच्छुक एजेंसियां अपनी जरूरत के मुताबिक जूट की बोरियां प्राप्त कर सकें। आप से यह भी अनुरोध किया जाता है कि आप दोबारा से यह सूचित करें कि क्या समूची बकाये मात्रा की आपूर्ति की जा सकती है।'     
 
प्रत्येक वर्ष खाद्य मंत्रालय खरीफ और रबी कृषि सीजन में मिलों से जूट की बोरियों की करीब 38 लाख गांठें खरीदता है। सरकारी खरीद करीब 5,500-6,000 करोड़ रुपये मूल्य की होती है।  अगस्त 2019 में जूट आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती ने उत्पादन नियंत्रण सह आपूर्ति आर्डर के तहत बी ट्वील जूट बोरियों की आपूर्ति में जान बूझकर चूक करने के मामलों में जूट मिलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। 
 
  

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