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News
चीनी से एथनॉल बनने में लगेगा वक़्त !
Date:
04 Oct 2019
Source:
Business Standard
Reporter:
संजीव मुखर्जी
News ID:
42701
Pdf:
Nlink:
चीनी से एथनॉल के उत्पादन के लिए सरकार का निर्णय स्वागत योग्य कदम है, लेकिन देखना होगा कि इससे 2019-20 सत्र में चीनी के तेजी से बढ़ते अधिशेष भंडार की समस्या दूर करने में कितनी मदद मिलेगी क्योंकि मिलों को इस प्रक्रिया (चीनी से एथनॉल उत्पादन) के लिए जरूरी निवेश में अभी समय लग सकता है। इसके अलावा चीनी से सीधे एथनॉल बनाने का काम ऑफ-सीजन में ही हो सकता है क्योंकि भंडारण के विकल्प बहुत कम होने के कारण ताजे एथनॉल को बहुत कम समय तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है।
2919-20 का चीनी सीजन इस महीने शुरू हो गया है और अधिकतर पेराई पहले पांच-छह महीनों में हो जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर पेराई खत्म होने के बाद ही चीनी के आधिक्य वाली मिलें उसे एथनॉल में बदलने पर विचार कर सकती हैं। इसका खर्च भी उन्हें खुद ही उठाना होगा। चीनी मिलों की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है तो इस बात पर भी नजर रहेगी कि मिलें इतनी रकम खर्च पाएंगी या नहीं। चीनी उद्योग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'देखते हैं आगे क्या होता है। लेकिन सी और बी श्रेणी के शीरे से तैयार एथनॉल की तुलना में गन्ने के रस और चीनी से बने एथनॉल की कीमत ऊंची रखे जाने से उद्योग को एक दिशा तो मिली है, जिस पर आगे बढऩे की जरूरत है।' रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2019 में कहा था कि कई चीनी मिलों का राजस्व गन्ने से कम चीनी निकलने के कारण ही साल भर पहले के मुकाबले घटा है।
एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2019 में गन्ने की कीमत ऊंची रहने और गन्ने से कम चीनी निकलने के कारण चीनी क्षेत्र का मुनाफा प्रभावित हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश में अधिकतर मिलों का परिचालन मार्जिन डिस्टिलरी खंड में सुधार आने से बेहतर हुआ। 2019-20 का चीनी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) 1.4 करोड़ टन चीनी के आरंभिक स्टॉक के साथ शुरू होने का अनुमान है, जो जरूरी स्टॉक के मुकाबले बहुत अधिक है। एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'आदर्श स्थिति में चीनी और गन्ने के रस से बने एथेनॉल की खरीद कीमत 65 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए 59.48 रुपये की नई कीमत घोषित की गई है। कीमत ज्यादा होती तभी चीनी मिलों को मुनाफा होता क्योंकि मौजूदा कीमत पर तो वे एथनॉल बनाने का खर्च भर ही निकाल पाएंगी।' उन्होंने कहा कि कीमत बढ़ेगी तो कई मिलें गन्ने के रस और चीनी से एथनॉल बनाने के लिए आगे आ सकती हैं क्योंकि वह कीमत प्रतिस्पद्र्घी होगी।
अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा चीनी सीजन (2018-19) में तेल विपणन कंपनियों को एथेनॉल की आपूर्ति करने वाली 173 चीनी मिलों में से लगभग 48 (28 प्रतिशत) ने बी-श्रेणी के शीरे से इसका उत्पादन किया और सिर्फ एक मिल ने इसके लिए गन्ने का रस इस्तेमाल किया। शेष सभी ने सी-श्रेणी के शीरे या शत प्रतिशत शीरे की अपनी पुरानी प्रक्रिया को अपनाया। सभी प्रणालियों (यानी सी श्रेणी शीरे, बी-श्रेणी शीरे, गन्ने का रस और चीनी) के जरिये उत्पादित एथेनॉल की 2019-20 चीनी सत्र के लिए केंद्र द्वारा घोषित कीमत काफी आकर्षक है, लेकिन चीनी मिलों की कमजोर वित्तीय स्थिति उन्हें कोई बड़ा अतिरिक्त निवेश करने से रोक सकती है।
केंद्र ने चीनी मिलों को अपनी एथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सक्षम होने के लिए मार्च 2019 में 15,000 करोड़ रुपये के उदार ऋण मंजूर किए और अब तक वह 245 परियोजनाओं को मंजूरी दे चुकी है। लेकिन उद्योग के कुछ जानकारों का कहना है कि इनमें से अतिरिक्त निवेश का बड़ा हिस्सा बैंकों की तरफ से फंसा हुआ है क्योंकि चीनी मिलों की वित्तीय हालत कमजोर बनी हुई है। सरकार को उम्मीद है कि दिसंबर से शुरू हो रहे 2019-20 के एथनॉल खरीद सत्र में लगभग 260 करोड़ लीटर एथनॉल तैयार किया जाएगा।
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