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मदद और दाम बढ़ने से चीनी उद्योग उत्साहित
Date: 26 Sep 2019
Source: Business Standard
Reporter: Virendra Singh Rawat
News ID: 42679
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चीनी उद्योग की मदद के लिए केंद्र की घोषणाओं के बाद चीनी के घरेलू दामों में आई हालिया उछाल ने इस क्षेत्र को निकट भविष्य के लिहाज से उत्साह प्रदान किया है। अगला पेराई सीजन कुछ सप्ताह बाद ही आने वाला है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार चीनी के 40 लाख टन बफर स्टॉक निर्माण और 60 लाख टन चीनी निर्यात पर सब्सिडी की घोषणा के साथ-साथ 2019-20 में चीनी उत्पादन में संभावित गिरावट के परिणामस्वरूप चीनी के दाम बढ़कर प्रति किलोग्राम 34-34.5 रुपये (उत्तर प्रदेश में एक्स-मिल) हो गए हैं। महाराष्ट्र में 31 रुपये के न्यूनतम बिक्री मूल्य के मुकाबले दाम बढ़कर 31.8-32 रुपये हो गए हैं। इक्रा की रिपोर्ट में पूर्वानुमान जताया गया है कि इन सकारात्मक उपायों से चीनी मिलों की तरलता में सुधार होने की संभावना है। नतीजतन किसानों को गन्ना भुगतान में मदद मिलेगी। महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति के कारण 2018-19 के 3.29 करोड़ टन की तुलना में घरेलू चीनी उत्पादन लगभग 2.82 करोड़ टन रहने के आसार हैं। इक्रा रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि 2019-20 में चीनी का स्टॉक 1.2-1.25 करोड़ टन के स्तर पर बंद होने की उम्मीद है। अतिरिक्त चीनी के बावजूद सरकार के सहायता उपायों के कारण चीनी की कीमतों में वृद्धि हुई है। 
 
जुलाई में एक पैकेज की घोषणा किए जाने के अलावा पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी सीजन में मिलों के 60 लाख टन चीनी निर्यात में मदद के लिए प्रति किलोग्राम 10.44 रुपये की निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दी थी। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था कि यह चीनी उद्योग के लिए यह बड़ी राहत है  क्योंकि भले ही हम इसे 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर ही बेचें तो भी 60 लाख टन चीनी का मूल्य 18,000 करोड़ रुपये बैठेगा। इससे स्टॉक कम होगा और स्टॉक रखने की लागत में कमी आएगी। साथ ही मिलों को नई चीनी के भंडारण के लिए खाली जगह मिलेगी।
 
  

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