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एथनॉल की कीमत बढ़ाई
Date: 04 Sep 2019
Source: Dainik Jagran
Reporter: Jagran Bureau
News ID: 42611
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। एथनॉल की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक बार फिर इसकी कीमत को बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में एथनॉल से संबंधित कई फैसले किए गए। इसमें एक फैसला यह भी था कि सरकारी तेल कंपनियां अब चीनी से बनाए गए एथनॉल की खरीद भी कर सकेंगी। सरकार को उम्मीद है कि एथनॉल की खरीद बढ़ाकर वह इस वर्ष तेल आयात बिल में एक फीसद की कमी कर सकेगी।

सीसीईए के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बताया कि सी श्रेणी के हैवी मोलासिस से मिलने वाले एथनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये किया जा रहा है। बी श्रेणी के हैवी मोलासिस की कीमत 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर की जा रही है। गन्ने के जूस या सिरप या चीनी से बनाए गए एथनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर तय की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि चीनी मिल अब अतिरिक्त बची चीनी से एथनॉल बनाकर उसे तेल कंपनियों को बेच सकेंगी। साथ ही अतिरिक्त या सड़े खाद्य उत्पादों से बनाए गए एथनॉल की खरीद भी तेल कंपनियां करेंगी। इन उपायों से देश में एथनॉल की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार ने इस वर्ष 260 करोड़ लीटर एथनॉल खरीदने का लक्ष्य रखा है।

प्रधान ने बताया कि पिछले वर्ष सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल में 6.2 फीसद एथनॉल मिश्रित करने में सफलता हासिल की है, जो 2013-14 में महज 1.53 फीसद था। सरकार चाहती है कि देश में बिकने वाले कुल पेट्रोल में 10 फीसद एथनॉल मिश्रित किया जाए। यह लक्ष्य 2020-21 तक हासिल होने की उम्मीद है। मंगलवार को जो फैसला हुआ है उसकी वजह से 260 करोड़ लीटर एथनॉल की खरीद होने से कच्चे तेल के आयात में दो अरब डॉलर (करीब 14 हजार करोड़ रुपये) की कमी संभव होगी। भारत सालाना तकरीबन 20 करोड़ टन कच्चा तेल खरीदता है। इस कदम से तेल आयात बिल में भी एक फीसद की कमी हो सकेगी।

एथनॉल खरीद को ज्यादा सुगम बनाने के लिए ही यह फैसला किया गया है कि सरकारी कंपनियों द्वारा जीएसटी और ढुलाई लागत का भी भुगतान किया जाएगा। सरकार के इस फैसले का चीनी उद्योग पर भी असर होगा। अभी देश में चीनी उत्पादन में वृद्धि होने से इसकी कीमत पर दबाव बन रहा है। अब जरूरत पड़ने पर कंपनियां चीनी से एथनॉल बनाकर उसे तेल कंपनियों को बेच सकेंगी। इससे स्टॉक को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

 
  

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