एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गन्ना साल भर होने वाली फसल है (इसे परिपक्व होने में 12-18 महीने लगते हैं) और यह किसानों को सुनिश्चित आय प्रदान करती है। इस फसल की खेती को हतोत्साहित करने के लिए कुछ विशेष विकल्प दिए जाने की जरूरत है जिससे उन्हें इसके समान या इससे अधिक आमदनी प्राप्त हो। अधिकारी ने कहा कि हालांकि किसी विशेष वर्ष में उत्पादन में कुछ दिक्कत रह सकती है लेकिन लंबी अवधि वाले रुख के अनुसार उत्पादन 2.7-2.8 करोड़ टन से नीचे नहीं रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक ओर जहां चीनी उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसकी मांग में उसी रफ्तार से इजाफा नहीं हो रहा है। इससे चीनी बाजार में अधिकता की स्थिति पैदा हो गई है जो कुछ समय तक बनी रह सकती है। अक्टूबर से शुरू होने वाले 2019-20 के चीनी सीजन के दौरान देश में 1.4 करोड़ टन से अधिक का सर्वकालिक शुरुआती चीनी स्टॉक होगा। हालांकि उद्योग के भागीदारों का कहना है कि कई क्षेत्रों में सूखे के कारण 2019-20 में उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहने के आसार हैं लेकिन इससे भी आमदनी में बहुत अधिक इजाफे की उम्मीद नहीं है। वैश्विक उत्पादन की अधिकता के कारण निर्यात के मोर्च पर भी हालात उत्साहित नहीं दिख रहे हैं। अतिरिक्त चीनी की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने दीर्घकालिक नीतिगत उपायों का सुझाव देने के लिए नीति आयोग के तहत इस कार्यबल का गठन किया था।