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गन्ना भुगतान न करने पर नहीं मिलेगा लाइसेंस
Date: 23 Apr 2015
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Sanjay Jog
News ID: 4246
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महाराष्ट्र की भाजपा-नीत सरकार ने उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान नहीं करने वाली चीनी मिलों को अगले पेराई सीजन के दौरान परिचालन करने के लिए लाइसेंस न देने का अहम फैसला किया है। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 3,148.41 करोड़ रुपये बकाया है। गन्ना आयुक्त के कार्यालय ने राज्य की 38 मिलों के खिलाफ राजस्व वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

महाराष्टï्र में यदि गन्ने में 9.5 फीसदी चीनी निकलती है तो एफआरपी 2,200 रुपये प्रति टन है। चीनी की मात्रा में 1 फीसदी की बढ़ोतरी होने पर एफआरपी में भी 232 रुपये प्रति टन का इजाफा होगा। 11 फीसदी चीनी होने पर एफआरपी 2,650 रुपये प्रति टन हो जाता है। राज्य के सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड ने कहा, 'चूक करने वाली मिलों के खिलाफ राज्य सरकार कड़ाई से पेश आएगी क्योंकि उन्हें अगले पेराई सत्र में परिचालन करने के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। सरकार पहले ही 2,000 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण की घोषणा कर चुकी है ताकि चीनी मिलें एफआरपी का भुगतान कर सकें। अगर यह पाया गया कि फैक्टरियां ऋण की राशि का गलत इस्तेमाल कर रही हैं उन्हें भी अगले पेराई सत्र में परिचालन करने का लाइसेंस नहीं मिलेगा।' 

पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से भी भारतीय खाद्य निगम को पूरे देश से 25 लाख टन चीनी खरीदने का निर्देश देने की गुजारिश करेगी। इस 25 लाख टन में से करीब 8-9 लाख टन चीनी महाराष्ट्र से खरीदी जा सकती है, जिससे 3,500 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। इस धन का इस्तेमाल चीनी मिलों द्वारा एफआरपी का भुगतान करने के लिए हासिल किए गए ऋण चुकाने में किया जा सकता है।

पाटिल ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपे गए विस्तृत ज्ञापन में भी सरकार ने केंद्र से आयात शुल्क की दर को मौजूदा 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की मांग की है और 50 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की बात कही है। इन कदमों से चीनी उद्योग को मनचाही राहत मिलेगी। मंत्री के मुताबिक राज्य ने अब तक रिकॉर्ड 101 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है जबकि इसकी जरूरत 80 लाख टन की ही है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि चीनी मिलों का कहना है कि चीनी की कीमत गिरने की वजह से उनके खाते प्रभावित हुए हैं और वे एफआरपी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं थे।

 
  

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