अगर चीनी मिलें अपने ऊपर लाखों गन्ना किसानों की बकाया राशि चुकाने पर सहमति जताती हैं तो केंद्र सरकार नकदी की किल्लत झेल रहीं चीनी कंपनियों को सफेद या रिफाइंड चीनी के निर्यात पर प्रोत्साहन देने के बारे में विचार कर सकती है। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बुधवार को यह बात कही। लगातार पांच वर्षों से अतिरेक उत्पादन के कारण चीनी की घरेलू कीमतें बहुत ज्यादा गिरी हैं। इससे मिलों की वित्तीय स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि अब उन पर गन्ना किसानों की बकाया राशि बढ़कर 3 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। इस बकाये के भुगतान से किसानों की जेब में पैसा आएगा। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा है और जिंसों की वैश्विक कीमतों में गिरावट से उनकी आमदनी घटी है। पासवान ने कहा, 'पिछले कुछ सप्ताह के दौरान बेमौसम बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। भुगतान के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता, क्योंकि इससे उन्हें वर्तमान हालात से निपटने में मदद मिलेगी।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उनकी सरकार के खिलाफ बढ़ते गुस्से को शांत करने के प्रयासों के तहत किसानों की मुआवजा राशि बढ़ाने पर सहमति जताई। पासवान ने कहा, 'सरकार उद्योग की मांग पर विचार करने को तैयार है, ताकि मिलों की वित्तीय स्थिति नहीं बिगड़े। लेकिन हम यह आश्वासन चाहते हैं कि किसानों को गन्ने के बकाया का जल्द से जल्द भुगतान किया जाएगा।' मिलों की यह शिकायत है कि सरकार के गन्ने की कीमतें ऊंची तय करने से उनका लाभ मार्जिन खत्म हो गया है। पासवान ने कहा, 'किसानों के हितों के संरक्षण और मिलों के लिए गन्ने की पेराई लाभकारी सुनिश्चित करने के लिए हमें एक संतुलन बनाए रखना होगा। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए किसानों और मिलों से अलग-अलग बातचीत करूंगा।' चीनी कंपनियों पर गन्ना किसानों के 192 अरब रुपये बकाया हैं। कुल बकाया में 3/5 हिस्सा देश के दो सबसे बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश का है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार पहले ही कच्ची चीनी के निर्यात पर 4,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी दे रही है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने गत माह इस बात पर सहमति जताई थी कि कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी होने के बावजूद शीर्ष उत्पादक देशों में रिकॉर्ड उत्पादन से विदेशों में बिक्री फायदेमंद नहीं रह गई है। गन्ना बकाया पर बैठक गन्ना किसानों का बकाया 19,000 करोड़ रुपये के स्तर से ऊपर जाने से उत्पन्न संकटपूर्ण स्थिति का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने इसका हल निकालने के लिए गन्ना उत्पादक राज्यों के किसानों और मुख्यमंत्रियों के साथ दो अलग-अलग बैठकें 15 और 16 अप्रैल को करने का फैसला लिया है। चीनी मिलें किसानों के गन्ने का बकाया चुकाने में नाकाम रही हैं। उनका कहना है कि चीनी की मिल डिलिवरी कीमत उत्पादन लागत से कम है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, 'गन्ना किसानों की स्थिति काफी खराब है। इस वर्ष अभी तक गन्ने का बकाया 19,243 करोड़ रुपये के स्तर को छू गया है। चीनी क्षेत्र के नियंत्रणमुक्त होने के बाद केंद्र की अधिक भूमिका नहीं रह गई है। हालांकि किसानों के प्रति हम चिंतित हैं।' उन्होंने कहा कि गन्ना उत्पादकों के साथ एक बैठक 15 अप्रैल को होगी, जिसके बाद 16 अप्रैल को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक होगी। पासवान ने कहा, 'राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।'