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कैबिनेट कमेटी ने प्रस्ताव को दी मंजूरी, बढ़ाया चीनी का बफर स्टॉक
Date: 25 Jul 2019
Source: Amar Ujala
Reporter: Business Desk
News ID: 41497
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चीनी मिलों पर बढ़ते गन्ना किसानों के बकाए को निपटाने के लिए सीसीईए ने खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके तहत विपणन वर्ष 2019-20 के लिए चीनी का बफर स्टॉक 40 लाख टन रखा गया है, जो एक साल पहले 30 लाख टन रहा था। सरकार के इस कदम से चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा कैबिनेट कमेटी ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का एफआरपी 275 रुपये क्विंटल यथावत रखा है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। एफआरपी वह मूल्य होता है जो मिलों की ओर से किसानों को गन्ना खरीद के लिए दिया जाता है। राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित करती हैं। 

सरकार पर बढ़ेगा बोझ

अगले विपणन वर्ष के लिए चीनी का बफर स्टॉक बढ़ाए जाने से सरकारी खजाने पर 1,674 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। अगस्त 2018 में केंद्र सरकार ने 30 लाख टन का चीनी बफर स्टॉक बनाया था, जिस पर कुल 1,175 करोड़ रुपये का खर्च सरकारी खजाने पर आया था। इस बढ़ोतरी का मकसद चीनी मिलों में नकदी तरलता बढ़ाना और किसानों के बकाए का भुगतान कराना है। इस कदम से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी।

खपत से ज्यादा उत्पादन

देश में अभी 2.60 करोड़ टन की वार्षिक घरेलू खपत है, जबकि चालू 2018-19 बाजार वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) में भारत का कुल चीनी उत्पादन तीन करोड़ 20 लाख 95 हजार टन रहने का अनुमान है। उद्योग निकाय एस्मा के अनुसार, चीनी का शुरुआती स्टॉक 1 अक्तूबर 2019 को लगभग 1.45 करोड़ टन के उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है, जबकि वर्तमान खपत के मुताबिक देश में इसकी जरूरत 50 लाख टन की ही है।

मिलों के बकाए में आ रही कमी

चीनी उद्योग के हालात में तेजी से सुधार आ रहा है। मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया काफी कम हो गया है। 2018-19 के सीजन में चीनी मिलों पर कुल बकाया करीब 85 हजार करोड़ रुपये था। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले दिनों संसद में बताया था कि अब किसानों का बकाया घटकर 15,222 करोड़ रुपये रह गया है। चालू सीजन में यूपी की चीनी मिलों पर किसानों का सबसे ज्यादा 9,746 करोड़ रुपये बकाया है।
 
  

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