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चीनी का सुरक्षित भंडार बढ़ाया
Date: 25 Jul 2019
Source: Business Standard
Reporter: संजीव मुखर्जी और एजेंसियां
News ID: 41485
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चीनी बकाया अब भी 15,000 करोड़ रुपये से अधिक स्तर पर होने की वजह से मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने आज चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने को मंजूरी दे दी और 2019-20 के विपणन सीजन में गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) भी 275 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर बरकरार रखा। चीनी का विपणन सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ठीक 2018-19 सीजन की तरह इस एफआरपी (वह न्यूनतम दाम जिस पर मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को भुगतान करना होता है) पर 10 प्रतिशत से अधिक चीनी प्राप्त होने पर प्रत्येक 0.1 प्रतिशत इजाफे पर 2.75 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।
 
किसानों को बढिय़ा गुणवत्ता वाला गन्ना उगाने और मिलों को अधिक चीनी प्राप्ति दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर ऐसा किया जा रहा है। 2017-18 के दौरान संचालित होने वाली लगभग 55 प्रतिशत मिलों की चीनी प्राप्ति दर 10 प्रतिशत से अधिक थी। यह प्राप्ति दर चीनी की वह मात्रा होती है जो किसी गन्ने से प्राप्त होती है। गन्ने से जितनी ज्यादा चीनी की मात्रा मिलती है, उसे बाजार में उतने ही ज्यादा दाम मिलते है। इस बीच केंद्र ने 2018-19 के सीजन में भी 30 लाख टन के बफर स्टॉक निर्माण को मंजूरी प्रदान की है जो 30 जून, 2019 को समाप्त हुआ है। नए बफर स्टॉक से खजाने पर 1,674 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और यह बफर स्टॉक 1 अगस्त, 2019 से शुरू हो जाएगा। बफर स्टॉक और इसके बीमा पर बैंकों से चीनी मिलों द्वारा लिए गए ऋण के कारण खजाने पर यह बोझ पड़ेगा। 
 

ब्याज का बोझ सरकार द्वारा वहन किया जाता है, लेकिन इस शर्त के साथ कि मिलों को इस बात की गारंटी देनी पड़ेगी कि बफर के एवेज में वे जो ऋण ले रही हैं, उसका उपयोग पूरी तरह से किसानों का गन्ना बकाया पूरा करने के लिए ही किया जाएगा किसी और काम के लिए नहीं। हालांकि इन दोनों फैसलों से मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार और गन्ना बकाये के शीघ्र भुगतान की उम्मीद है, लेकिन इसका कितना असर होगा, यह बात आगे चलकर पता चलेगी क्योंकि इस बफर स्टॉक से 1.45 करोड़ टन के शुरुआती स्टॉक का केवल कुछ भी भाग खपेगा। 2019-20 के सीजन की शुरुआत के समय चीनी उद्योग का शुरुआती स्टॉक इतना ही रहेगा। किसी भी सीजन की शुरुआत में सामान्य स्टॉक की आवश्यकता 45-50 लाख टन होती है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एफआरपी में काफी तेज इजाफा हुआ है और गन्ने ने किसानों को अन्य फसलों से मिलने वाले रिटर्न को पीछे छोड़ दिया है। इस फैसले (एफआरपी को अपरिवर्तित रखने के) से फसलों के बीच संतुलन कायम होगा। इससे चीनी मिलों को भी लाभ होगा क्योंकि चीनी उत्पादन में 70 से 75 प्रतिशत लागत केवल गन्ने की ही होती है।              

 
  

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