गन्ना किसानों और चीनी मिलों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए सरकार गन्ने के रस से चीनी के बदले अब ब्यूटेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह ब्यूटेन हवाई जहाज के ईंधन एयर टार्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का विकल्प बनेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को बताया कि दुनिया के कई देशों में ब्यूटेन का मानकीकरण हो चुका है।
यह एटीएफ का विकल्प बन सकता है। अच्छी बात यह है कि एटीएफ के मुकाबले ब्यूटेन में कैलोरिफिक वैल्यू 30 फीसदी ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई दूरी तय करने में एटीएफ के मुकाबले ब्यूटेन की कम खपत होगी। इस समय देश में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। खपत नहीं होने के कारण इसका निर्यात करना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय चीनी का भाव करीब 22 रुपये प्रति किलो है, जो घरेलू बाजार की कीमत के मुकाबले काफी कम है। इसलिए इसके निर्यात पर सरकार चीनी मिलों को प्रति टन 900 रुपये सब्सिडी देती है। जब गन्ने के रस से चीनी के बजाय ब्यूटेन बनेगा तो चीनी मिलों की आमदनी बढ़ेगी। गन्ना किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा। साथ ही हर साल एटीएफ के आयात में 40 हजार करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा खर्च होती है, वह भी बचेगी। यूपी में लगेंगे चार रिफाइनरी गडकरी के मुताबिक, देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में इस समय 200 से भी ज्यादा चीनी मिलें चल रही हैं। पिछले सीजन में इनका उत्पादन 118 लाख टन से भी अधिक रहा था। घरेलू बाजार में चीनी की इतनी खपत नहीं होने के कारण सरकार ने इसके निर्यात की अनुमति दी है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत और कम है। इसको ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में गन्ने के रस से ब्यूटेन बनाने के लिए तीन से चार रिफाइनरी लगाई जाएगी। महाराष्ट्र में दो से तीन और कर्नाटक में भी तीन से चार रिफाइनरी लगाने की योजना है।