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14 फीसदी गिर सकता है चीनी उत्पादन
Date: 02 Jul 2019
Source: Business Standard
Reporter: Virendra Singh Rawat
News ID: 40403
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विपणन सीजन 2019-20 के दौरान घरेलू चीनी उत्पादन मौजूदा पेराई सीजन के 3.295 करोड़ टन की तुलना में 14 प्रतिशत घटकर 2.82 करोड़ टन रहने का अनुमान है। उद्योग के संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने उपग्रह की तस्वीरों के आधार पर अपने प्रारंभिक अनुमान में इस कम उत्पादन के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में कम बारिश और पानी की कम उपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि अक्टूबर 2019 में चीनी का शुरुआती स्टॉक 1.45 करोड़ टन के रिकॉर्ड शीर्ष स्तर पर रहने की उम्मीद है जो 50 लाख के पिछले स्टॉक की 'मानक आवश्यकता' से करीब तीन गुना अधिक है। चूंकि चीनी की सालाना जरूरत लगभग 26.5 लाख टन है इसलिए अगले सीजन में अतिरिक्त स्टॉक रहेगा। इसी वजह से इस्मा स्टॉक के कारण होने वाले नुकसान से चीनी कंपनियों को बचाने के लिए चीनी निर्यात को अनुमति देने पर जोर दे रहा है।
 
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि उम्मीद की बात यह है कि वैश्विक बाजार में 40 टन चीनी की कमी रहने के आसार हैं। इससे भारतीय कंपनियों को मौका उपलब्ध होगा। हालांकि केंद्र को चीनी निर्यात नीति की घोषणा शीघ्र ही कर देनी चाहिए ताकि मिलरों को यह अनुकूल हालात भुनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इस्मा ने वर्ष 2019-20 के दौरान भारत में गन्ने का रकबा 49.3 लाख हेक्टेयर आंका है जो पिछल साल के 55 लाख हेक्टेयर की तुलना में करीब 11 प्रतिशत कम है। शीर्ष चीनी उत्पादक उत्तर प्रदेश में गन्ने का रकबा 23.6 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है जो 2018-19 के 24.1 हेक्टेयर से दो प्रतिशत कम है। हालांकि अधिक उपज देने वाली किस्मों के कारण राज्य में प्रति हेक्टेयर रिकॉर्ड स्तर पर बेहतर उपज रहने का अनुमान है। वर्ष 2018-19 में 1.182 करोड़ टन के मुकाबले अगले सीजन के दौरान राज्य में चीनी उत्पादन 1.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
 
हालांकि दूसरे स्थान पर रहने वाले महाराष्ट्र में कम बारिश की वजह से गन्ने का रकबा 30 प्रतिशत तक कम होकर 8,23,000 हेक्टेयर रह गया जबकि पिछले साल यह 11.5 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह 2018-19 सीजन के 1.072 करोड़ टन की तुलना में चीनी का उत्पादन लुढ़ककर 70 लाख टन रहने के आसार हैं। सूखे जैसे स्थिति ने कर्नाटक को भी प्रभावित किया है जहां गन्ने का रकबा और चीनी उत्पादन क्रमश: 4,20,000 हेक्टेयर और 35 लाख टन रहने का अनुमान जताया गया है जो पहले क्रमश: 5,02,000 हेक्टेयर और 43.6 लाख टन था। पिछले साल तमिलनाडु को भी कम बारिश का सामना करना पड़ा था। यहां गन्ने का रकबा घटकर करीब 2,30,000 हेक्टेयर रह गया जबकि चीनी उत्पादन 2018-19 के 8,60,000 टन से लुढ़ककर 7,50,000 टन रहने की संभावना है। अगले सीजन के दौरान बाकी राज्यों में कुल उत्पादन 50 लाख टन रहने का अनुमान है। 
 
इस्मा ने प्रेस की दी जानकारी में कहा कि जुलाई-सितंबर 2019 में बारिश, जलाशयों में पानी की स्थिति और सितंबर-अक्टूबर में उपग्रहों की दूसरी बार की तस्वीरों के बाद इस्मा इस विश्लेषण की समीक्षा करेगा और अपना पहला अग्रिम अनुमान जारी करेगा क्योंकि फसल और पक जाएगी तथा बारिश और पानी की उपलब्धता ज्यादा स्पष्ट हो जाएगी। 2018-19 के दौरान अब तक तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को बी भारी शीरे/गन्ने के रस से बने 29.5 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति की गई थी जो 3,00,000 टन चीनी हटाए जाने के बराबर है। इससे उन मिलों को राहत मिली जिन पर फिलहाल लगभग 20,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इनमें अकेले उत्तर प्रदेश में ही 10,000 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा हिस्सा शामिल है। चूंकि तेल विपणन कंपनियां अगस्त में अपनी जरूरत की घोषणा करती हैं इसलिए चीनी उद्योग उद्योग ने केंद्र से इसी समय एथनॉल नीति लाने का अनुरोध किया है।
 
  

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