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उत्तर प्रदेश में फीका पड़ा चीनी उत्पादन
Date: 01 Jul 2019
Source: The Business Standard
Reporter: वीरेंद्र सिंह रावत
News ID: 40392
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देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 2018-19 पेराई सीजन के दौरान चीनी उत्पादन मामूली रूप से घटकर 1.182 करोड़ टन के स्तर पर आ गया है। हाल ही में संपन्न होने वाले इस पेराई सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश के चीनी उत्पादन में करीब 1.9 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि  2017-18 में 1.2 करोड़ टन से कुछ अधिक उत्पादन हुआ था। अलबत्ता राज्य के चीनी प्राप्ति अनुपात में सुधार हुआ है जिसने इस सीजन में मिलों द्वारा गन्ने की कम पेराई की आंशिक रूप से भरपाई कर दी है। हालांकि उत्तर प्रदेश में सभी 119 चीनी मिलों द्वारा की गई गन्ने की शुद्ध खरीद में 7.25 प्रतिशत की गिरावट आई है लेकिन फिर भी पिछले साल की तुलना में चीनी उत्पादन 1.9 प्रतिशत कम हुआ है।
 
दिलचस्प बात यह है कि गन्ने के अधिक रकबे और उत्पादन में क्रमश: 28 लाख हेक्टेयर और 21.3 करोड़ टन केअनुमान के कारण इस सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पहले 1.24 करोड़ टन के अधिक स्तर पर आंका गया था। इस बीच विशेष रूप से निजी क्षेत्र के स्वामित्व वाली राज्य की मिलें 10,000 करोड़ रुपये के भारी बकाये में दबी हुई हैं। 2018-19 के पेराई सीजन में लगभग 33,025 करोड़ रुपये के कुल भुगतान के मुकाबले मिलों ने सामूहिक रूप से अब तक लगभग 23,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। शेष राशि का भुगतान किया जाना है।
 
नवंबर 2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में सामान्य किस्म वाले गन्ने के दाम 315 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर अपरिवर्तित रखा था। इससे चीनी के गिरते निर्यात, बढ़ते भंडार व बकाये और घटते बाजार मूल्य के बीच मिलों को राहत मिली। हाल ही में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने निजी चीनी मिलों को अगस्त 2019 तक किसानों का बकाया निपटान करने के लिए कहा था और उन्हें चेतावनी दी थी कि इसमें और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे चूककर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत मिल संकेत मिलता है।
 
हालंाकि सरकार द्वारा नियंत्रित सहकारी मिलों का भुगतान अनुपात 85 प्रतिशत की दर से बहुत बेहतर है लेकिन निजी इकाइयां 70 प्रतिशत की दर के साथ पिछड़ी हुई हैं और इन पर काफी बकाया है। इस सीजन में 94 निजी, 24 सहकारी और उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की एक इकाई सहित 119 चीनी मिलों ने पेराई में भाग लिया था। पिछले साल राज्य ने उन निजी मिलों के लिए आसान ऋण योजना भी शुरू की थी जिनका भुगतान अनुपात 2017-18 के पेराई सीजन में 30 प्रतिशत से अधिक बैठता था। बाद में वांछनीय मिलों के लिए लगभग 2,900 करोड़ रुपये का आसान ऋण मंजूर किया गया था।
 

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में भुगतान की स्थिति में सुधार होगा क्योंकि पेराई सीजन अब खत्म हो गया है तथा बकाया राशि में और इजाफा नहीं होगा। गन्ना उपायुक्तों को पहले ही किसानों का भुगतान सुनिश्चित करने के एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है।              

 
  

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