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सूखे से चीनी उत्पादन पर असर
Date: 14 Jun 2019
Source: Business Standard
Reporter: रॉयटर्स
News ID: 40314
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पिछले साल के मुकाबले वर्ष 2019-20 में देश के चीनी उत्पादन में 15 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है क्योंकि गंभीर सूखे से प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन को नुकसान पहुंचा है। उद्योग के सूत्रों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी। इस गिरावट से भारतीय चीनी मिलों पर अतिरिक्त चीनी निर्यात करने का दबाव कम होगा। इससे वैश्विक दामों को मदद मिलने की संभावना है। देश से खेप भेजने में मिलने वाली छूट की वजह से ये दाम पिछले साल 20 प्रतिशत से ज्यादा गिर गए थे। नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि अक्टूबर से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2019-20 में दुनिया के इस दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक का उत्पादन 2.8 से 2.9 करोड़ टन रह सकता है जो इस वर्ष के 3.3 करोड़ टन उत्पादन से कम है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सूखे के कारण गन्ने के बुआई क्षेत्र में काफी गिरावट आई है। पानी की कमी से भी गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
 
करोड़ों भारतीय देरी से आ रहे मॉनसून की बारिश का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि उन्हें लू के बीच पीने के पानी को सुरक्षित रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। यह लू तेजी से जलाशयों को सूखा रही है और देश भर का तापमान बढ़ा रही है। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ का अनुमान है कि 2019-20 के फसल वर्ष में कटाई किए जाने वाले गन्ने का रकबा पिछले साल की तुलना में 28 प्रतिशत कम हुआ है। उन्होंने कहा कि अगले सीजन में देश के दूसरे सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र का उत्पादन 65 लाख टन रह सकता है जो मौजूदा फसल वर्ष से 39.2 प्रतिशत कम है। गायकवाड़ ने कहा कि अगर इस साल राज्य में कम बारिश होती है तो यह गिरावट और ज्यादा हो सकती है।
 
मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि आम तौर पर मॉनसून महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में 10 जून तक पहुंचता है लेकिन इस साल यह अभी तक नहीं आया है। चूंकि पानी किल्लत से कुछ क्षेत्रों में पशुओं के चारे की कमी पैदा हो गई है इसलिए महाराष्ट्र के रामदास पवार जैसे किसान चारे के लिए गन्ना बेच रहे हैं। उन्होंने कहा, 'गन्ना मुर्झा रहा था। मैंने दो एकड़ में कटाई की और चारे के रूप में गन्ना मवेशियों के एक शिविर को बेच दिया।' गन्ने की जोरदार उपज वाले वर्षों और रिकॉर्ड चीनी उत्पादन ने चीनी के घरेलू दामों को नुकसान पहुंचाया है जिससे मिलों के लिए किसानों का बकाया भुगतान करने में मुश्किल हो गई। गन्ना बकाया और बढ़ता स्टॉक कम करने के लिए केंद्र सरकार मिलों को विदेशों को चीनी बिक्री के लिए प्रोत्साहन प्रदान कर रही है और वर्ष 2018-19 के लिए 50 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है। नाइकनवरे ने कहा कि दो साल की प्रचुर उपज के कारण पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होने की वजह से कम उत्पादन के बावजूद भारत को अब भी अगले सीजन में चीनी निर्यात करना पड़ेगा। 
 
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने पिछले महीने कहा था कि 1 अक्टूबर को नए सीजन की शुरुआत में चीनी का स्टॉक बढ़कर 1.47 करोड़ टन होने के आसार हैं जो पिछले साल के मुकाबले 37.4 प्रतिशत ज्यादा है। एक वैश्विक कंपनी के मुंबई स्थित व्यापारी ने कहा कि निर्यात के बिना स्टॉक का स्तर कम नहीं होगा। सरकार अगले साल भी निर्यात प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है।
 
  

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