जूट उद्योग ने 50 प्रतिशत आपूर्ति अवरुद्ध होने के कारण अपनी प्रमुख मिलों को तीन महीने के लिए निर्यात रोकने और राष्टï्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के साथ-साथ स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की भी आपूर्ति रोकने का आग्रह किया है। मौजूदा वर्ष में सरकार ने बी ट्विल जूट बोरों की 12.4 लाख गांठ (एक बेल=180 किलोग्राम) खरीदने का फैसला किया है। फरवरी के आखिर तक उद्योग 6.8 लाख गांठों की ही आपूर्ति कर पाया है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि नेफेड, तमिलनाडु में खाद्य एजेंसियों और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को जूट के बोरों की आपूर्ति से यह संकट उत्पन्न हुआ है।
2002 के सरकारी नियमों के अनुसार शुल्क आयोग के फॉम्र्यूले के तहत जूट आयुक्त कार्यालय द्वारा तय की गई कीमतों से अधिक कीमत पर जूट के बोरे बेचना गैरकानूनी है। हालांकि दोहरे मूल्य निर्धारण के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत नहीं होने के कारण सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। सरकार द्वारा नियंत्रित एजेंसियों - भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नेफेड की दरों में जूट बोरों की कीमतों को लेकर काफी अंतर दिखाई देता है। एफसीआई जूट के ऐसे बोरे 82,000 रुपये प्रति टन की दर से खरीदती है जबकि इसी गुणवत्ता वाले बोरों के लिए नेफेड 86,000 रुपये देता है।