•  
  • Welcome Guest!
  • |
  • Members Log In Close Panel
  •  
Home
 
  • Home
  • About us
  • Ethanol
  • Cogeneration
  • Environmental
  • Statistics
  • Distillery
  • Sugar Price
  • Sugar Process
  • Contact us

News


आपूर्ति में रुकावट से निर्यात स्थगित करेंगी जूट मिलें !
Date: 25 May 2019
Source: Business Standard
Reporter: Jayajit Das
News ID: 40254
Pdf:
Nlink:

जूट उद्योग ने 50 प्रतिशत आपूर्ति अवरुद्ध होने के कारण अपनी प्रमुख मिलों को तीन महीने के लिए निर्यात रोकने और राष्टï्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के साथ-साथ स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की भी आपूर्ति रोकने का आग्रह किया है। मौजूदा वर्ष में सरकार ने बी ट्विल जूट बोरों की 12.4 लाख गांठ (एक बेल=180 किलोग्राम) खरीदने का फैसला किया है। फरवरी के आखिर तक उद्योग 6.8 लाख गांठों की ही आपूर्ति कर पाया है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि नेफेड, तमिलनाडु में खाद्य एजेंसियों और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को जूट के बोरों की आपूर्ति से यह संकट उत्पन्न हुआ है।

2002 के सरकारी नियमों के अनुसार शुल्क आयोग के फॉम्र्यूले के तहत जूट आयुक्त कार्यालय द्वारा तय की गई कीमतों से अधिक कीमत पर जूट के बोरे बेचना गैरकानूनी है। हालांकि दोहरे मूल्य निर्धारण के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत नहीं होने के कारण सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। सरकार द्वारा नियंत्रित एजेंसियों - भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नेफेड की दरों में जूट बोरों की कीमतों को लेकर काफी अंतर दिखाई देता है। एफसीआई जूट के ऐसे बोरे 82,000 रुपये प्रति टन की दर से खरीदती है जबकि इसी गुणवत्ता वाले बोरों के लिए नेफेड 86,000 रुपये देता है।

 
आपूर्ति अवरुद्ध होने के बीच जूट मिलों के एक समूह ने अपनी क्षमता कम कर दी है जिससे कृत्रिम संकट बढ़ रहा है। उनके इस रुख से खफा जूट आयुक्त ने इन मिल मालिकों को कारण बताओ नोटिस जोरी किया है। मौजूदा वर्ष के लिए सरकार ने जूट बोरों का ऑर्डर कम कर दिया है क्योंकि सरकार को डर है कि शायद उद्योग आपूर्ति का अपना वादा पूरा न कर पाए। आपूर्ति की इस उलझन से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में घबराहट पैदा हो गई जो जूट बारों के सबसे बड़े मांगकर्ता हैं। जूट आयुक्त ने चिंता जताई है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सरकार को जूट मिलों की ओर से बी ट्विल बोरों की आपूर्ति में काफी रुकावट आ रही है जिससे इन राज्यों में खरीद कार्य पर प्रतिकूल असर पडऩे का डर पैदा हो रहा है। जूट आयुक्त मलय चंदन चक्रवर्ती ने सभी जूट मिलों को लिखे पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर इस रुकावट को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा। खाद्य मंत्रालय हर साल खरीफ और रबी दोनों ही कृषि सीजन में 5,500-6,000 करोड़ रुपये मूल्य की 24 लाख गांठ या 80 टन जूट के बोरों की मांग करता है।
 
  

Navigation

  • TV Interviews
  • Application Form For Associate Membership
  • Terms & Conditions (Associate Member)
  • ISMA President
  • Org. Structure
  • Associate Members(Regional Association)
  • Who Could be Member?
  • ISMA Committee
  • Past Presidents
  • New Developments
  • Publications
  • Acts & Orders
  • Landmark Cases
  • Forthcoming Events




Indian Sugar Mills Association (ISMA) © 2010 Privacy policy
Legal Terms & Disclaimer
 Maintained by