खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि उनका मंत्रालय चालू विपणन वर्ष 2014-15 में 14 लाख टन चीनी पर निर्यात सब्सिडी दिए जाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले ही एक कैबिनेट प्रस्ताव जारी किया जा चुका है। यह प्रस्ताव प्रति टन करीब 4,000 रुपये की सब्सिडी देने की बाबत है, जिस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल में किया जाएगा। पासवान ने कहा, 'इस बारे में एक कैबिनेट प्रस्ताव जारी किया गया है। लेकिन फिलहाल निर्यात सब्सिडी के बारे में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि हमारे मंत्रालय की राय है कि निर्यात सब्सिडी 14 लाख टन चीनी पर ही देना चाहिए।' उन्होंने कहा कि 14 लाख टन चीनी के निर्यात और इस साल करीब 2.48 करोड़ टन चीनी की घरेलू मांग को पूरा करने के बाद भी अतिरिक्त चीनी की उपलब्धता होगी। मंत्रालय अधिकारियों ने कहा कि इस प्रस्ताव में यह भी उल्लेख है कि जिन मिलों ने गन्ने की पेराई के बाद एथेनॉल की बिक्री की है, वे ही इस सब्सिडी को पाने की हकदार होंगी। ऐसे में गैर-एकीकृत मिलों को सब्सिडी हासिल करने में मुश्किल हो सकती है। चालू पेराई सत्र में चीनी का उत्पादन 2.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है लेकिन यह तय लक्ष्य को पार कर सकता है। पिछले साल केंद्र सरकार ने संकट में फंसी चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के बकाया भुगतान चुकाने के लिए 40 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी देने की घोषणा की थी। लेकिन यह सब्सिडी की योजना सितंबर 2014 में खत्म हो गई। हालांकि उसके बाद हर दो माह पर सरकार सब्सिडी की मात्रा की समीक्षा करती है। खाद्य मंत्रालय ने फरवरी-मार्च के लिए पहले 3300 रुपये प्रति टन की सब्सिडी तय की थी और अप्रैल-मई में इसे घटाकर 2,277 रुपये प्रति टन कर दिया गया। हालांकि जून-जुलाई में इसे दोबारा 3,300 रुपये प्रति टन किया गया और अगस्त-सितंबर के लिए 3,381 रुपये प्रति टन रखा गया। पिछले विपणन वर्ष में चीनी मिलों ने करीब 7,50,000 टन कच्ची चीनी का निर्यात किया था और उद्योग को करीब 200 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया। चीनी उद्योग ने इस साल भी सरकार से सब्सिडी योजना जारी रखने की मांग की है।