गन्ने की बेहतर रिकवरी के चलते उत्तर प्रदेश में इस साल चीनी उत्पादन में इजाफा हुआ है। गन्ना विकास विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बेहतर रिकवरी, चीनी मिलों के समय से चलने और सर्दी में हुई तीन दौर की बारिश के चलते इस बार गन्ने का रकबा भी बढऩे की उम्मीद लगायी जा रही है। गौरतलब है कि बीते दो सालों के भुगतान संकट के चलते इस सीजन में गन्ने के रकबे में करीब 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल न केवल गन्ने का रकबा बीते साल के बराबर होगा बल्कि उससे भी अधिक हो सकता है। इस बार के पेराई सत्र के बारें में जानकारी देते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग राहुल भटनागर ने बताया कि चालू पेराई सत्र 2014-15 में अभी तक 3,831.12 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई पूरी हो गई है। जबकि पिछले वर्ष 2013-14 में इस अवधि तक 3,288 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। उन्होंने बताया कि अभी तक 353 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक 291 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था। वर्तमान में चीनी का परता 9.22 प्रतिशत है जबकि पिछले वर्ष यह परता 8.87 प्रतिशत था। भटनागर ने बताया कि चालू पेराई सत्र में गन्ना मूल्य की कुल देयता 7,185 करोड़ रुपये के सापेक्ष चीनी मिलों द्वारा किसानों को 4,303 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है, जो कुल देयता का 62.67 प्रतिशत है। अधिकारियों का कहना है कि न केवल इस साल गन्ना किसानों का भुगतान समय पर हो रहा है बल्कि बीते सालों का बकाया भी काफी हद तक निपटा दिया गया है। गौरतलब है कि बीते दो सालों में हुए भुगतान संकट को देखते हुए इस साल सरकार ने मिलों को रियायतें देते हुए गन्ना मूल्य का भुगतान दो किस्तों में करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक मिले किसानों को पहली किस्त के तौर पर 240 रुपये देंगी जबकि बकाया 40 रुपये पेराई खत्म होने के तीन माह के अंदर करेंगी। चीनी को लेकर अखिलेश ने मोदी को लिखा पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि चीनी के मूल्यों को स्थिर रखने के लिए कच्ची चीनी के निर्यात की सब्सिडी 4,000 रुपये प्रति टन की जाए। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने आज बताया कि मुख्यमंत्री ने यह सब्सिडी चीनी उद्योग को कम से कम 20 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए देने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि केंद्र द्वारा चीनी पर निर्धारित किए जाने वाले आयात शुल्क की वर्तमान दरों को बढ़ाकर 25 फीसदी से 40 फीसदी किया जाए। इससे उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य मिल सकेगा।