फूड मिनिस्टर राम विलास पासवान ने मंगलवार को रॉ शुगर पर 4,000 रुपये प्रति टन की एक्सपोर्ट सब्सिडी को मंजूरी दे दी। इससे कैश की कमी से जूझ रही शुगर इंडस्ट्री को किसानों को गन्ने की बकाया रकम का भुगतान करने में मदद मिलेगी। इसे बुधवार को कैबिनेट से भी अनुमति मिल सकती है। ब्राजील के बाद भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है। पिछले वर्ष सितंबर तक रॉ शुगर के प्रॉडक्शन और एक्सपोर्ट पर 3,300 रुपये प्रति टन की सब्सिडी दी जा रही थी। फूड मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि पासवान ने 14 लाख टन तक चीनी के लिए एक्सपोर्ट सब्सिडी बढ़ाने को मंजूरी दी है। एक अधिकारी ने कहा, 'प्रपोजल पर मंगलवार को पासवान ने हस्ताक्षर कर दिए और अब इसे कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।'
शुगर इंडस्ट्री सरकार से सब्सिडी को जारी रखने की मांग कर रही थी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वह बैंक लोन के भुगतान के साथ किसानों को समय पर गन्ने की कीमत चुका सके। इंडस्ट्री ने कहा कि अब वह नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार कर रही है। इंडस्ट्री से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'पेराई का सीजन आधा बीत चुका है। सरकार को जल्द से जल्द इनसेंटिव देना चाहिए।' पेराई का सीजन नवंबर के अंत से शुरू होकर अप्रैल की शुरुआत तक चलता है। सब्सिडी स्कीम की शुरुआत फरवरी 2014 में की गई थी। इसमें 40 लाख टन तक के रॉ शुगर एक्सपोर्ट पर 3,300 रुपये प्रति टन की सब्सिडी मिली थी। इसे पिछली बार अगस्त-सितंबर, 2014 में बढ़ाकर 3,371 रुपये प्रति टन किया गया था।
15 जनवरी तक 494 चीनी मिलों ने 1.03 करोड़ टन चीनी का प्रॉडक्शन किया था। पिछले वर्ष की इसी अवधि में 486 चीनी मिलों ने 86.5 लाख टन चीनी तैयार की थी। देश में चीनी का सालाना प्रॉडक्शन 2.5 करोड़ टन है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने पहले कहा था कि चीनी मिलें एक्सपोर्ट सब्सिडी पर स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से रॉ शुगर प्रॉडक्शन की योजना बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इस्मा की ओर से 16 जनवरी को जारी एक बयान में कहा गया था, '15-20 लाख टन चीनी का एक्सपोर्ट किए जाने की जरूरत है, जिसके लिए सरकार को रॉ शुगर केप्रॉडक्शन और उसके एक्सपोर्ट के लिए इनसेंटिव की तुरंत घोषणा करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो किसानों की गन्ने की बकाया रकम बढ़ इस सीजन में बढ़ सकती है।'