गुड़ के घटते स्टॉक और पेराई के लिए गन्ने की कम उपलब्धता से उत्पादन में अवरोध के चलते पिछले एक महीने में इसका भाव 25 फीसदी बढ़ा है। ऊंची उत्पादन लागत और त्योहारों पर बढ़ी मांग के चलते गुड़ की कीमतों में तेजी आई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाजारों में गुड़ की बेंचमार्क किस्म चाकू का भाव इस समय 1,080 रुपये प्रति कट्टा (प्रत्येक 40 किलोग्राम) यानी 2,700 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्यम किस्म के गुड़ खुरपा का भाव 940 रुपये प्रति कट्टा या 2,350 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। कुछ साल पहले तक कम कीमत के चलते गुड़ को चीनी का विकल्प माना जाता था, लेकिन अब गुड़ चीनी के बराबर या इससे थोड़ी ज्यादा कीमत पर बिक रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चीनी की एक्स-फैक्टरी कीमत करीब 2,650 रुपये प्रति क्विंटल है। मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) स्थित इस उद्योग की संस्था फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने कहा, 'आमतौर पर मांग बढऩे कारण मकर संक्रांति के आसपास गुड़ के भाव बढ़ते हैं। लेकिन इस साल उत्पादन कम होने से कीमतों में भारी तेजी आई है। बीच-बीच में बारिश और इसके बाद घने कोहरे और कंपकंपाती ठंड से गन्ने की कटाई प्रभावित हुई है। गुड़ उत्पादक इकाइयों ने चीनी मिलों को आपूर्ति होने वाला गन्ना खरीदा है।' इस साल गुड़ की उत्पादन लागत बढ़ी है, क्योंकि कोल्हू राज्य परामर्शी मूल्य या एसएपी पर गन्ना खरीदते हैं। पिछले कुछ वर्षों से आमतौर पर सीजन की शुरुआत को छोड़कर कोल्हू हल्की किस्म के गन्ने की पेराई करते हैं। हालांकि इस सीजन में कोल्हुओं को पेराई की खातिर गन्ना खरीदने के लिए चीनी मिलों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। इसके नतीजतन गुड़ उत्पादक उत्पादन लागत से नीचे बिक्री नहीं करना चाहते हैं। बीच-बीच में बेमौसम बारिश से गन्ने की तैयार फसल की कटाई में देरी हो रही है। इस वजह से चालू सीजन में अब तक गुड़ का उत्पादन कम रहा है। हापुड़ के गुड़ कारोबारी बिजेंद्र कुमार बंसल ने कहा, 'मौसम ठीक होने पर आगामी सप्ताह में गुड़ के उत्पादन में तेजी आएगी, क्योंकि सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ने की अच्छी पैदावार हुई है।' इस बार पेराई जल्द चालू होने के बावजूद गुड़ का स्टॉक कम है। अनुमानों के मुताबिक अभी कारोबारियों और स्टॉकिस्टों के पास 2,17,000 कट्टों का स्टॉक है, जबकि पिछले साल इस समय स्टॉक 3,44,000 कट्टे थे। ज्यादा उत्पादन के अनुमानों से कीमतें कम हो सकती हैं। खंडेलवाल का मानना है कि इस समय अच्छे गन्ने की आपूर्ति छोटे और मझोले किसान कर रहे हैं, क्योंकि कोल्हू चीनी मिलों से ज्यादा कीमत देते हैं। हालांकि बड़े किसान चीनी मिलों को ही आपूर्ति कर रहे हैं। आमतौर पर उत्पादित गन्ने के 55 फीसदी हिस्से की आपूर्ति चीनी मिलों को होती है, जबकि 30 फीसदी आपूर्ति कोल्हुओं को होती है। लेकिन इस साल बहुत से किसानों ने चीनी मिलों के बजाय कोल्हुओं को गन्ने की आपूर्ति की है। इस साल देश में गुड़ का उत्पादन बढ़कर 90 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन 85 लाख टन से 5 लाख टन अधिक है।