चालू गन्ना पेराई सीजन 2014-15 (अक्टूबर-सितंबर) में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने 97 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए निविदा जारी की थी, लेकिन डिस्टिलरीज ने केवल 47 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति करने की पेशकश की है। डिस्टिलरीज ने जितने एथेनॉल की आपूर्ति की पेशकश की है, वह खरीद के लिए जारी की गई निविदा का 50 फीसदी से भी कम है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की अगुआई में तेल विपणन कंपनियों ने 30 दिसंबर, 2014 को निविदा जारी की थी। एथेनॉल विनिर्माताओं को 12 जनवरी तक इसमें हिस्सा लेने को कहा गया था। लेकिन सूत्रों ने बताया कि विभिन्न डिस्टिलरीज ने मांगी गई मात्रा की केवल 68 फीसदी आपूर्ति की पेशकश की, जिससे 32 फीसदी मात्रा के लिए बोली ही नहीं लगी। देश की एक प्रमुख एथेनॉल विनिर्माता कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस बोली को सीजन के मध्य में खोला गया, क्योंकि पेराई सीजन अक्टूबर में शुरू होता है। डिस्टिलरीज पहले ही खपत वाले अन्य उद्योगों जैसे पेय एवं औद्योगिक एल्कोहल विनिर्माताओं से करार कर चुकी हैं, जिससे एथेनॉल विनिर्माताओं के लिए कम मात्रा बची। इस वजह से आपूर्ति की पेशकश कम रही है।' आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 10 दिसंबर को एथेनॉल की कीमत 48.50 रुपये से 50 रुपये प्रति लीटर तय की थी। उसके बाद ही यह निविदा जारी की गई थी। गौरतलब है कि समिति ने डिस्टिलरी से तेल डिपो की दूरी के आधार पर एथेनॉल के दाम तय किए थे। हालांकि यह कीमत नवंबर 2014 से अक्टूबर 2015 के बीच आपूर्ति के लिए जुलाई 2014 में जारी की गई निविदा में तय कीमत 44 से 48 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा थी। जब से 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण की अनिवार्यता का कार्यक्रम शुरू किया गया है, उसके बाद तेल विपणन कंपनियां 2 फीसदी से भी कम अपना लक्ष्य हासिल कर पाई हैं। तेल विपणन कंपनियों को हर साल पेट्रोल में मिश्रण के लिए एथेनॉल की जरूरत है। देश की सबसे बड़ी एथेनॉल विनिर्माताओं में से एक श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरुकुंबी ने कहा, 'सीजन के मध्य में जारी की गई निविदा के लिए यह बहुत अच्छी मात्रा है।' कच्चे तेल की गिरती कीमतों से 44 से 48 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर एथेनॉल खरीद की व्यवहार्यता का मसला पैदा हो गया था, जिससे तेल विपणन कंपनियों ने 120 करोड़ लीटर की खरीद निविदाएं रद्द कर दीं। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट के चलते सरकार ने पिछले साल जुलाई से पेट्रोल की कीमतें 12.27 रुपये प्रति लीटर घटा दी हैं। पिछले साल जुलाई से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 58 फीसदी गिरकर फिलहाल 46 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। रोचक बात यह है किर तेल कंपनियों ने दिसंबर 2013 से नवंबर 2014 के बीच 39 से 45 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर एथेनॉल की खरीद की थी। इंडियन केमिकल कौंसिल के अध्यक्ष और इंडिया ग्लाइकोल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश भरतिया ने कहा, 'यह एक अन्य सबूत है कि डिस्टिलरीज के पास एथेनॉल की पर्याप्त मात्रा नहीं है। सवाल कीमत का नहीं बल्कि उपलब्धता का है। मेरा अब भी मानना है कि कार्यक्रम में दोष हैं और चाहे सरकार कितनी की कीमत दे, यह सफल नहीं हो सकता। हर बार इसकी कीमत बढ़ाई जाती है, लेकिन सरकार को एथेनॉल की आïश्यकता मात्रा नहीं मिल पाती है।