नई दिल्ली, ब्यूरो। लगातार बढ़ते घाटे से जूझ रहे चीनी उद्योग और गन्ना बकाया के संकट से तंग किसानों की मुश्किलों को दूर करने को लेकर सरकार गंभीर है। निर्यात व घरेलू बाजार में चीनी कीमतों में सुधार नहीं हुआ तो गन्ना किसान एक बार फिर बकाये के भंवर में फंस सकता है। केंद्र सरकार इस आशंका को भांपकर हरकत में आई है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। इसमें मसले के विभिन्न पक्षों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में गन्ना किसानों और चीनी उद्योग को मुश्किल दौर से उबारने के उपायों पर लंबी चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश में अभी भी कई चीनी मिलें किसानों का गन्ना भुगतान करने में विफल रही हैं।
इस बैठक में किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने उनका पक्ष रखा। साथ ही समस्या के निदान का प्रस्ताव भी रखा। इसमें खाद्य राज्य मंत्री आरएस दादाराव दानवे और मंत्रालय के आला अफसरों ने भी हिस्सा लिया। बैठक में एथनॉल का उत्पादन बढ़ाकर चीनी उत्पादन में कटौती का प्रस्ताव भी रखा गया। दरअसल एथनॉल उत्पादन के साथ उसके मूल्य की बाजार निर्धारित प्रक्रिया तय करने पर विचार की जरूरत है। इस प्रस्ताव पर जल्दी ही अंतर मंत्रालयी समिति विचार करेगी।
चीनी मिलों की गुहार
घाटे से जूझ रही चीनी मिल मालिकों ने पहले ही केंद्र से कुछ और रियायतों की घोषणा के लिए गुहार लगाई है। चीनी निर्यात सब्सिडी के प्रावधान और स्पष्ट व पारदर्शी एथनॉल नीति बनाने की मांग की गई है।
किसानों की हालत दयनीय
किसान जागृति मंच के संयोजक सुधीर पंवार ने कहा कि पिछले दो सालों से किसानों के गन्ने का भुगतान नहीं होने से उनकी हालत दयनीय हो गई है। समय आ गया है कि गन्ना किसानों को बचाने के लिए चीनी निर्यात सब्सिडी देने के बजाय सीधे उनके खाते में पैसा डाला जाए। घरेलू बाजार में सुधार के लिए रिलीज ऑर्डर प्रणाली को फिर से शुरू करने की जरूरत है। पहले वाले तरीके ज्यादा मुफीद थे। सुधार के नाम पर बाजार व्यवस्था को यूं ही छोड़ दिया गया। इसका दुष्प्रभाव सीधे किसानों को भुगतना पड़ रहा है।