सरकार से सब्सिडी के ऐलान की उम्मीद में चीनी मिलें सुस्त रफ्तार से कच्ची चीनी का प्रॉडक्शन कर रही हैं। हालांकि, एक्सपोर्टर्स रिफाइंड शुगर खरीदने को बेताब हैं। पिछले साल सरकार ने फरवरी में सब्सिडी का ऐलान किया था। हालांकि, उससे पहले ही मिलों ने काफी सौदे कर लिए थे। इसलिए वे इसका फायदा नहीं उठा पाई थी। चीनी मिलें दोबारा वह गलती नहीं करना चाहती।
इस बारे में लंदन बेस्ड कमोडिटी ट्रेडर ईडी एंड एफ मैन (इंडिया) के मैनेजिंग डायरेक्टर राहिल शेख ने बताया, 'चीनी मिलें सब्सिडी पर तस्वीर साफ होने का इंतजार कर रही हैं। उसके बाद ही वे कच्ची चीनी का प्रॉडक्शन बढ़ाएंगी।' भारत में लगातार पांचवें साल चीनी की कीमत रिकॉर्ड कम रहने वाली है क्योंकि सप्लाई डिमांड के मुकाबले अधिक रहेगी। सरकारी अनुमान के मुताबिक, देश में अक्टूबर में शुरू हुए मौजूदा सीजन में चीनी का प्रॉडक्शन 2.56 करोड़ टन रह सकता है। इसके साथ अगर साल की शुरुआत के स्टॉक को मिला दिया जाए तो कुल चीनी 3.33 करोड़ टन रह सकती है, जबकि देश में इसकी मांग 2.35 टन ही है। एक्सपोर्ट बढ़ाकर चीनी के दाम में गिरावट रोकी जा सकती है। लेकिन, इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की कीमत भारत से कम चल रही है। इसलिए मिलें सरकार से कैश इंसेंटिव मिलने की उम्मीद कर रही हैं। सरकार का मानना है कि 2014-15 सीजन में देश का शुगर एक्सपोर्ट 25 लाख टन रह सकता है।
कच्ची चीनी का प्रॉडक्शन खासतौर पर एक्सपोर्ट के लिए किया जाता है। कर्नाटक और महाराष्ट्र की मिलों के लिए कच्ची चीनी का प्रॉडक्शन फायदे का सौदा है क्योंकि ये तटीय राज्य हैं और यहां से इनका एक्सपोर्ट कम लागत में किया जा सकता है। भारत में महाराष्ट्र के बाद सबसे चीनी का सबसे अधिक प्रॉडक्शन उत्तर प्रदेश में होता है, लेकिन बंदरगाह से दूर होने के चलते राज्य के लिए एक्सपोर्ट फायदे का सौदा नहीं है। विदेशी रिफाइनरीज 20-21 रुपये किलोग्राम के रेट पर कच्ची चीनी खरीदने की पेशकश कर रही हैं। इस चीनी को रिफाइन कर व्हाइट शुगर बनाई जाती है।
इस बारे में नेचुरल शुगर एंड अलायड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बी बी थोंबरे ने कहा, 'बायर्स की ओर से कच्ची चीनी खरीदने के लिए पूछताछ हुई है। वे बड़ी मात्रा में चीनी खरीदना चाहते हैं। हालांकि, वे जो कीमत ऑफर कर रहे हैं, उस पर हम डील नहीं कर सकते।' उन्होंने बताया कि वह सरकार से सब्सिडी के बारे में फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही कच्ची चीनी के प्रॉडक्शन के बारे में फैसला लिया जाएगा। डोमेस्टिक मार्केट में एक्स-मिल शुगर प्राइस अभी 24.50 रुपये किलोग्राम है जबकि विदेशी बायर्स 20-21 रुपये किलोग्राम का प्राइस कोट कर रहे हैं। मिलों को लगता है कि दोनों के अंतर की भरपाई सरकार सब्सिडी के जरिये कर सकती है।