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चीनी निर्यात बढ़ा लेकिन लक्ष्य अधूरा
Date: 14 May 2019
Source: Business Standard
Reporter: BS Correspondent
News ID: 36255
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 अक्टूबर 2018 से शुरू हुए मौजूदा गन्ना पेराई सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में देश का चीनी निर्यात बढ़कर 21.29 लाख टन हो गया है जो पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है। 2017-18 के विपणन वर्ष में लगभग 5 लाख टन चीनी निर्यात हुआ था। हालांंकि चीनी मिलें अब भी निर्यात लक्ष्य से काफी पीछे हैं। मिलों को 50 लाख टन चीनी निर्यात करना है। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान तथा स्टॉक की अधिकता कम करने के लिए सरकार चीनी निर्यात के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दे रही है। इसका असर निर्यात आंकड़ों पर भी देखने को मिला है। अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के बयान में कहा गया है कि 1 अक्टूबर से 6 अप्रैल के बीच निर्यात की गई 21.29 लाख टन चीनी में से 9.76 लाख टन कच्ची चीनी थी। इसके अतिरिक्त 7.24 लाख टन चीनी निर्यात प्रक्रिया में है। एआईएसटीए के मुख्य कार्याधिकारी आरपी भागरिया ने कहा कि अब तक लगभग 30 लाख टन चीनी के लिए निर्यात अनुबंध हुआ है जिसमें से 28.53 लाख टन चीनी मिलों से भेजी जा चुकी है। 

 
पिछले साल निर्यात कम होने के कारण चीनी मिलों का घाटा और बढ़ा तथा किसानों को भुगतान करना भी मुश्किल हो गया। गत वर्ष वैश्विक बाजारों की कम कीमतों के बीच पिछले विपणन वर्ष में भारत ने लगभग पांच लाख टन चीनी का निर्यात किया था जिससे भारतीय चीनी की निर्यात खेप गैर-प्रतिस्पर्धी हो गई थी। बांग्लादेश, श्रीलंका, सोमालिया, अफगानिस्तान और ईरान प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं। केंद्र ने 2018-19 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में अधिशेष स्टॉक खत्म करने के लिए चीनी मिलों को 50 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए कहा है। चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। सरकार की तरफ से हाल ही में चीनी मिलों को चेतावनी दी गई है कि जो चीनी मिले निर्यात लक्ष्य पूरा नहीं करेंगी उन्हें दी गई सब्सिडी वापस ले ली जाएगी। 
 
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने के कारण चीनी मिलों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है लेकिन आचार संहिता खत्म होते ही जिन चीनी मिलों ने निर्यात लक्ष्य पूरा नहीं किया है और सरकारी सब्सिडी भी ले रखी हैं, सरकार उन मिलों की सब्सिडी बंद करने के साथ-साथ अब तक दिया गया प्रोत्साहन पैकेज वापस मांग सकती है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार चीनी मिलों को यह सब्सिडी किसानों का बकाया भुगतान करने के लिए दे रही है लेकिन चीनी मिलों ने प्रोत्साहन पैकेज और सब्सिडी मिलने के बावजूद किसानों का भुगतान लटका रखा है। चीनी मिलों के इस रवैये से सरकार की साख भी खराब हो रही है और किसान भी परेशान हो रहे हैं। इसलिए सरकार की तरफ से ऐसी मिलों की सूची तैयार की गई है लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण अब तक मिलों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। 
 

2018-19 के विपणन वर्ष में भारत का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड 330 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष 325 लाख टन था। देश में चीनी खपत के मुकाबले कहीं अधिक स्टॉक बचा हुआ है क्योंकि चीनी की वार्षिक घरेलू मांग लगभग 260 लाख टन है और चीनी मिलों के पास पिछले वर्ष का बचा हुआ भारी स्टॉक भी है।             

 
  

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