देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों में से एक महाराष्ट्र ने इस पेराई सत्र में चीनी उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। साथ ही यहां की शुगर मिलों ने किसानों के 85 पर्सेंट बकाया का भुगतान भी कर दिया है। 2018-19 के पेराई सत्र में महाराष्ट्र की शुगर मिलों ने 107.19 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले साल के उत्पादन से थोड़ा ज्यादा है। शुगर कमिश्नर शेखर गायकवाड़ ने बताया, 'उत्पादन के लिहाज से गन्ने का यह पेराई सत्र काफी अच्छा रहा है। शुगर मिलों ने किसानों के करीब 85 पर्सेंट बकाये का भुगतान कर दिया है।'
महाराष्ट्र की शुगर मिलों पर किसानों को कुल ₹21,154 करोड़ रुपये बकाया था, जिसमें से 16,545 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। 6 मई 2019 को इन मिलों पर किसानों का 4,831 करोड़ रुपये बकाया था। हालांकि उत्पादन में इस बढ़ोतरी से इंडस्ट्री की जरूरत से ज्यादा सप्लाई की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि पिछले कुछ समय से चीनी की घरेलू खपत स्थिर रही है और कीमतों में गिरावट के चलते एक्सपोर्ट भी रुका हुआ है। भारत को 2018-19 में 330 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन से 1.5 पर्सेंट ज्यादा है। इंडस्ट्री के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) को महाराष्ट्र में सूखे के चलते 2019-20 में गन्ने की उपलब्धता कम रहने की उम्मीद है। हालांकि इसके बावजूद अगले साल के लिए अच्छी खासी तादाद में इनवेंटरी मौजूद रहेगी।
इस्मा ने हाल ही में कहा था, '1 अक्टूबर 2018 को 107 लाख टन की इनवेंटरी थी। इस सीजन में 330 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है, जिसमें 260 लाख टन का इस्तेमाल घरेलू खपत और 30 लाख टन के करीब एक्सपोर्ट होने की संभावना है। इन सब पहलुओं को देखते हुए 2018-19 सत्र के अंत में चीनी के करीब 147 टन के स्टॉक होने की उम्मीद की जा रही है।' इंडस्ट्री पिछले कुछ समय से स्टॉक को निकालने की समस्या से जूझ रही है।