उत्तर प्रदेश के हर छोटे बड़े चुनाव में गन्ना मूल्य भुगतान हमेशा से बड़ा मुद्दा बनता रहा है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में यह चुनावी बहस से दूर हो गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में होने वाले छठवें व सातवें चरण का चुनाव प्रचार पूरी रफ्तार पकड़ चुका है, लेकिन गन्ने की चर्चा चुनावी हलचल में नहीं है। असल में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही इसे लेकर केंद्र की राजग सरकार की सतर्कता और राज्य सरकार का चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य के भुगतान का दबाव काम आया है।
दरअसल, किसान की चिंता गन्ना मूल्य को बढ़ाने से ज्यादा उसके भुगतान को लेकर रहती है। यही उसकी गंभीर चिंता का विषय भी रहा है। गोरखपुर के रहने वाले अवधेश मिश्र गन्ना सहकारी संस्थाओं से जुडे़ हुए हैं। उनका कहना है कि चुनाव के मद्देनजर ही इस बार सरकार का ध्यान गन्ना मूल्य के भुगतान पर ही रहा। राज्य सरकार का सभी मिल मालिकों को निर्देश है कि पेराई बंद होने के एक महीने के भीतर शत प्रतिशत भुगतान होना जरूरी है।
मिश्र ने कहा कि कई सालों बाद पहली बार गन्ने का 70 फीसद तक भुगतान हो चुका है। इसीलिए विपक्षी राजनीतिक दल चुनाव में इसे मुद्दा नहीं बना सके। राज्य में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में गन्ना मूल्य भुगतान का मुद्दा विपक्ष की ओर से उठाने की कोशिश की गई, लेकिन इसके बाद यह मुद्दा लगभग समाप्त हो गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बंद चल रही मिलों को दोबारा खोलने की मांग जरूर उठ रही है।
कुशीनगर क्षेत्र में कप्तानगंज को छोड़कर बाकी चल रही सभी मिलों का भुगतान संतोषजनक है। देवरिया के गन्ना किसान राजन को भुगतान को लेकर कोई शिकायत नहीं है, लेकिन उन्हें बंद मिलों के न चलने को लेकर दुख जरूर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी चुनावी सभाओं में सख्त लहजे में चीनी उद्योग को समय से भुगतान करने को लेकर कहते रहते हैं। ऐसा न करने वाले मिल मालिकों को जेल भेजने तक का अल्टीमेटम अपना असर दिखा रहा है। मुख्यमंत्री के इस रुख को भांपकर मिलें भुगतान में कोताही नहीं कर पा रही हैं।
पडरौना के गुलाब सिंह कुशवाहा भी चीनी मिलों की ओर से 15-20 दिन के भीतर बैंक खाते में पैसा जमा करा देने को लेकर बहुत खुश हैं। कुशवाहा इसका श्रेय राज्य की योगी सरकार को देते हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश गन्ना मिल संघ के अनुसार राज्य में चीनी निगम की 31 मिलों में से 28 में पेराई बंद है। सिर्फ तीन मिलें चालू हैं जबकि सहकारी क्षेत्र की 28 मिलों में से 23 में पेराई हुई है। इसी तरह 115 प्राइवेट मिलों में से चार-पांच बंद हैं, बाकी में पेराई हुई है।