सरकार ने गन्ना किसानों के 9836 हजार करोड़ के बकाये में से 5400 करोड़ का भुगतान सप्ताह भर में करने का फैसला लिया है। पहले चरण में पश्चिम उप्र के गन्ना पट्टी की आठ सीटों पर मतदान है।
लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले ही किसानों के गन्ने की मिठास को बढ़ाने की तैयारी हो गई है। सरकार ने गन्ना किसानों के 9836 हजार करोड़ रुपये के बकाये में से 5400 करोड़ का भुगतान सप्ताह भर में कर देने का फैसला लिया है। पहले चरण में पश्चिम उप्र के गन्ना पट्टी की आठ संसदीय सीटों पर मतदान होना है।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि बकाये में से 3000 करोड़ का भुगतान साफ्ट लोन से होगा। बाकी 1000-1000 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कोजेन और चीनी की बिक्री से मिले पैसे से किया जाएगा। 400 करोड़ का भुगतान असिस्टेंट टू चीनी मिल से होगा। इससे कुछ मिलों का बकाया पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और अधिकांश मिलों को 70 फीसद बकाये का भुगतान कर दिया जाएगा। जो चीनी मिलें चल रही हैं, उनसे चीनी बिकने के साथ ही भुगतान की प्रक्रिया जारी रहेगी।
बकाया भुगतान पर सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे
गन्ने का बकाया पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बड़ा मुद्दा है। इसे लेकर सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उनकी सरकार गन्ना किसानों का वर्षों से लंबित 57 हजार 578 करोड़ रुपये बकाये का भुगतान कर चुकी है। सरकार की बेहतर नीति के कारण ही गन्ने के रकबे में 22 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इस रिकार्ड भुगतान के बाद भी किसानों के 9836 करोड़ रुपये बाकी थे।
इसी वजह से चंद रोज पहले बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट करके मुख्यमंत्री के दावे को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है, ऐसे में किसान कैसे खुश रह सकते हैं। इसे लेकर सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा था कि धन्ना सेठों की समर्थक और किसान विरोधी भाजपा सरकार गलत दावे कर रही है।