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महाराष्ट्र में MSP से कम पर चीनी बेचने वाली मिलों को पकड़ने की तैयारी
Date: 29 Mar 2019
Source: Economic Times
Reporter: Jayashree Bhosale
News ID: 36126
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लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों पर गन्ना किसानों का बकाया दिलवाने का दबाव बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र की पूरी शुगर इंडस्ट्री और शुगर कमिश्नर ने कम कीमत पर चीनी बेचने वाली कुछ मिलों के पर्दाफाश के लिए हाथ मिलाया है। वित्तीय संकट में फंसीं राज्य की कुछ मिलें कम कीमत पर इसकी बिक्री कर रही हैं।

इससे पहले केंद्र सरकार ने चीनी का उत्पादन करने वाले राज्यों को निर्देश दिया था कि मिलें केंद्र के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) पर ही चीनी की बिक्री करें और गन्ना किसानों का बकाया चुकाएं। केंद्र सरकार ने इन राज्यों के शुगर कमिश्नरों से कहा था कि जो मिलें एमएसपी से कम पर चीनी की बिक्री कर रही हैं, वे उनके खिलाफ कार्रवाई करें।

महाराष्ट्र के शुगर कमिश्नर शेखर गायकवाड़ ने कहा, 'हमें पता चला है कि कुछ मिलें अवैध हथकंडे अपना रही हैं और कम कीमत पर चीनी की बिक्री कर रही हैं। ट्रेडर्स भी चीनी के दाम कम करवाने के लिए कई तकनीक आजमा रहे हैं।' कमिश्नर ने एमएसपी पर चीनी की बिक्री की हिदायत देने के लिए राज्य की सभी मिलों की मीटिंग बुलाई है।

मिलें एमएसपी से बचने के लिए कई तिकड़म आजमाती हैं। कुछ मिलें चीनी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेच रही हैं। टैक्स से पहले केंद्र ने इतना ही एमएसपी तय किया है। इसके बाद वे बायर्स को 200 से 300 रुपये क्विंटल तक वापस लौटा रही हैं। कुछ मिलें 3,100 रुपये के भाव पर चीनी बेच रही हैं और बायर्स को प्रति क्विंटल पर 200 रुपये का कर्ज दे रही हैं। कागज पर इसमें कानूनी तौर पर कुछ भी गलत नहीं है। कुछ मिलें ट्रेडर्स को अधिक चीनी देती हैं और कागज पर उसे कम दिखाया जाता है।

गायकवाड़ ने कहा, 'इन मिलों ने अपनी चीनी बैंकों के पास गिरवी नहीं रखी है। इसलिए यह बताना मुश्किल है कि उन्होंने कितनी चीनी का उत्पादन किया है।' सरकार मिलों के बाद के स्तर पर भी चीनी के लिए एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट लागू करने पर विचार कर रही है क्योंकि अभी एमएसपी सिस्टम का पालन सुनिश्चित नहीं हो पार रहा है।

वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बीबी थोम्ब्रे ने बताया, 'हमने बदमाश मिलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हम ऐसी मिलों का अधिकारियों के साथ मिलकर पर्दाफाश करेंगे।' सरकार ने मार्च महीने में शुगर कोटा बढ़ाया है। इससे मिलों की परेशानी बढ़ गई है। वे इस महीने का 20 पर्सेंट कोटा नहीं बेच पाई हैं। सरकार ने अब मार्च कोटा के लिए उन्हें एक्सटेंशन दिया है और अप्रैल के लिए उसने कोटा घटाया है।              

 
  

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